Original

धर्मार्थमात्रमादाय भृङ्गवत् कुसुमान्मधु अपूर्व इव सर्वत्र विहरिष्याम्यसंस्तुतः ॥

Segmented

धर्म-अर्थ-मात्रम् आदाय भृङ्ग-वत् कुसुमात् मधु अपूर्व इव सर्वत्र विहरिष्यामि असंस्तुतः

Analysis

Word Lemma Parse
धर्म धर्म pos=n,comp=y
अर्थ अर्थ pos=n,comp=y
मात्रम् मात्र pos=n,g=n,c=2,n=s
आदाय आदा pos=vi
भृङ्ग भृङ्ग pos=n,comp=y
वत् वत् pos=i
कुसुमात् कुसुम pos=n,g=n,c=5,n=s
मधु मधु pos=n,g=n,c=2,n=s
अपूर्व अपूर्व pos=a,g=m,c=1,n=s
इव इव pos=i
सर्वत्र सर्वत्र pos=i
विहरिष्यामि विहृ pos=v,p=1,n=s,l=lrt
असंस्तुतः असंस्तुत pos=a,g=m,c=1,n=s