बोधिचर्यावतारः — 4.38
Original
Segmented
किम् उत सतत-सर्व-दुःख-हेतून् प्रकृति-रिपून् उपहन् उद्यतस्य भवति मम विषाद-दैन्यम् अद्य व्यसन-शतैः अपि केन हेतुना वै
Analysis
Word | Lemma | Parse |
---|---|---|
किम् | क | pos=n,g=n,c=1,n=s |
उत | उत | pos=i |
सतत | सतत | pos=a,comp=y |
सर्व | सर्व | pos=n,comp=y |
दुःख | दुःख | pos=n,comp=y |
हेतून् | हेतु | pos=n,g=m,c=2,n=p |
प्रकृति | प्रकृति | pos=n,comp=y |
रिपून् | रिपु | pos=n,g=m,c=2,n=p |
उपहन् | उपहन् | pos=vi |
उद्यतस्य | उद्यम् | pos=va,g=m,c=6,n=s,f=part |
भवति | भू | pos=v,p=3,n=s,l=lat |
मम | मद् | pos=n,g=,c=6,n=s |
विषाद | विषाद | pos=n,comp=y |
दैन्यम् | दैन्य | pos=n,g=n,c=1,n=s |
अद्य | अद्य | pos=i |
व्यसन | व्यसन | pos=n,comp=y |
शतैः | शत | pos=n,g=n,c=3,n=p |
अपि | अपि | pos=i |
केन | क | pos=n,g=m,c=3,n=s |
हेतुना | हेतु | pos=n,g=m,c=3,n=s |
वै | वै | pos=i |