Original

सालक्तकं शतदलाधिककान्तिरम्यंरत्नौघधामनिकरारुणनूपुरं च ।क्षिप्तं भृशं कुपितया तरलोत्पलाक्ष्यासौभाग्यचिह्नमिव मूर्ध्नि पदं विरेजे ॥८६॥

Segmented

स अलक्तकम् शतदला-अधिक-कान्ति-रम्यम् रत्न-ओघ-धाम-निकर-अरुण-नूपुरम् च क्षिप्तम् भृशम् कुपितया तरल-उत्पल-अक्षया सौभाग्य-चिह्नम् इव मूर्ध्नि पदम् विरेजे

Analysis

Word Lemma Parse
pos=i
अलक्तकम् अलक्तक pos=n,g=n,c=1,n=s
शतदला शतदला pos=n,comp=y
अधिक अधिक pos=a,comp=y
कान्ति कान्ति pos=n,comp=y
रम्यम् रम्य pos=a,g=n,c=1,n=s
रत्न रत्न pos=n,comp=y
ओघ ओघ pos=n,comp=y
धाम धामन् pos=n,comp=y
निकर निकर pos=n,comp=y
अरुण अरुण pos=a,comp=y
नूपुरम् नूपुर pos=n,g=n,c=1,n=s
pos=i
क्षिप्तम् क्षिप् pos=va,g=n,c=1,n=s,f=part
भृशम् भृशम् pos=i
कुपितया कुप् pos=va,g=f,c=3,n=s,f=part
तरल तरल pos=a,comp=y
उत्पल उत्पल pos=n,comp=y
अक्षया अक्ष pos=a,g=f,c=3,n=s
सौभाग्य सौभाग्य pos=n,comp=y
चिह्नम् चिह्न pos=n,g=n,c=1,n=s
इव इव pos=i
मूर्ध्नि मूर्धन् pos=n,g=m,c=7,n=s
पदम् पद pos=n,g=n,c=1,n=s
विरेजे विराज् pos=v,p=3,n=s,l=lit