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कृतिरियं सर्व्वज्ञमित्रपादानां कामौरिकाणां[^१] ताराचरणान-
धूसराणाम् ।
 
विधाय टोकां बदलन्धि शम्भो
गिरीशसङ्काशमलौमशोभम् ।
 
शुभं मया तारिणि स्रग्धरायाः
स्तुते र्जगत्तेन तवास्तु बुद्धम् ॥
 
श्रौमविक्रम शौलदेवमहाविहारीयराजगुरुपण्डितभिक्षु-
श्रौजिनरचितकता बालार्कस्तुति -
टोका परिषमाप्ता ।
 
खाविभेभेन्दु (१८८१) कलिते चैत्रे श्यामेभमे[^२] तिथौ ।
मङ्गले दिवसेऽलेखत् खग्धरास्तुतिपुस्तकम् ॥
 
 
 
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[^१] Orig. न । [^२] Orig. श्यामेयमे ।