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बौद्धस्तोत्रसंग्रहः ।
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स्रग्धरा-स्तोत्रम् ।
 
ॐ नमो भगवत्यै आर्य्यतारायै ॥
 
बालार्कालोकताम्रप्रवरसुरशिरश्चारुचूडामणिश्री-
सम्पत्सम्पर्करागानतिचिररचितालक्तकव्यक्त[^१]भक्ती।
भक्त्या पादौ तवा कर र्य्ये करपुटमुकुटाटोपभुग्नो [^२]त्तमाङ्ग-
स्तारिण्यापच्छरण्ये'[^३] नवनुतिकुसुमस्त्रग्भिरभ्यर्चयामि ॥ १ ॥
 
स्रग्धरा-स्तोत्र-टौटीका ।
 
ॐ नमस्तारायै 11
 
नत्वार्य्यतारां जगदर्थसारां
धर्म्
मारां
 
धी
कराध्येषणया समासात् ।

बालार्कमात्रस्य करोमि टीकां

स्फुटामहं श्रीजिनरचिक्षितः कृती ॥ १ ॥
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[^१] B. व्यक्ति । [^२] B. भग्न । [^३] A. स्वरण्ये ।