2022-07-24 17:32:42 by Andhrabharati
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अ०
त्रक०
अलु० स०
अव्य० स०
आ०
दा०
T० स०
भ०
कर्म० स०
त० स०
तृ० त०
दे०
द्व० स०
द्वि० क०
द्वि० स०
द्वि० त०
प० त०
न० स०
तुल०
ना० धा०
सम्प्र०
सम०
तु०
प्रेर०
ज्यो०
"
उ० अ०
ए० व०
सा० वि०
वि०
बी० ग०
क्रि० वि०
। वर्त०
भूत
प्रा० स०
न० ब०
न० त०
पुं०
नपुं०
स्त्री०
सक०
पृषो०
अव्यय
अकर्मक
अनुक् समास
अव्ययीभाव समास
आत्मने पद
उदाहरणत:
उपपद समास
उभयपदी
कर्मधारय समास
तत्पुरुष समास
तृतीया तत्पुरुष समास
देखो
द्वन्द्व समास
द्विकर्मक
द्विगु समास
द्वितीया तत्पुरुष समास
पष्ठी तत्पुरुष समास
नञ समास
तुलनात्मक
नामधातु
सम्प्रदान कारक
समस्त पद
तुलना करो
प्रेरणार्थक
ज्योतिष
संकेत सूचि
पर
ज्या
कम० वा०
कर्तृ
वा०
व० व०
उत्तमावस्था
एक वचन
सार्वनामिक (निर्देशक )
विशेषण
विशेषण
बीजगणित
क्रिया विशेषण
वर्तमानकाल
भूत काल
प्रादि समास
नञ बहुव्रीहि समास
नञ, तत्पुरुष समास
पुंल्लिंग
नपुंसक लिंग
स्त्रीलिंग
सकर्मक
पृषोदरादित्वात्
म० अ०
अ० पु०
म० पु०
उ०
पु०
व० स०
भवि०
इच्छा०
भू० क० कृ०
सं० कृ०
वर्त्त० कृ०
विप०
करण०
कर्तृ
कम ०
०
आलं०
वार्ति ०
व०
अने० पा०
संबो०
यड०
संबं०
त०
श०
अधिo
उप०
भ्वा०
अदा०
ज०
स्वा०
दि०
तु०
क्या०
च०
रु०
तना०
परस्मैपद
ज्यामिति
कर्म वाच्य
कत्वाच्य
वह वचन
मध्यमावस्था
अन्यपुरुष
मध्यम पुरुष
उत्तम पुरुष
बहुचीहि समास
भविष्यत्काल
इच्छार्थक, सन्नन्त
भूतकालिक कर्मणि
कृदन्त (क्त )
संभाव्य कृदन्त ( तव्यत्)
वर्तमानकालिक कृदन्त
( शत्रन्त या शानजन्त)
विपरीतार्थक
करणकारक
कर्तृकारक
कर्मकारक
आलंकारिक
वार्तिक
वैदिक
नाना पाठान्तर
संबोधन
यङलुङन्त
संबंध
तदेव
शब्दश:
अधिकरण कारक
उपसर्ग
भ्वादिगण
अदादिगण
जुहोत्यादिगण
स्वादिगण
दिवादिगण
तुदादिगण
दिगण
चरादिगण
रुधादिगण
तनादिगण
अ०
त्रक०
अलु० स०
अव्य० स०
आ०
दा०
T० स०
भ०
कर्म० स०
त० स०
तृ० त०
दे०
द्व० स०
द्वि० क०
द्वि० स०
द्वि० त०
प० त०
न० स०
तुल०
ना० धा०
सम्प्र०
सम०
तु०
प्रेर०
ज्यो०
"
उ० अ०
ए० व०
सा० वि०
वि०
बी० ग०
क्रि० वि०
। वर्त०
भूत
प्रा० स०
न० ब०
न० त०
पुं०
नपुं०
स्त्री०
सक०
पृषो०
अव्यय
अकर्मक
अनुक् समास
अव्ययीभाव समास
आत्मने पद
उदाहरणत:
उपपद समास
उभयपदी
कर्मधारय समास
तत्पुरुष समास
तृतीया तत्पुरुष समास
देखो
द्वन्द्व समास
द्विकर्मक
द्विगु समास
द्वितीया तत्पुरुष समास
पष्ठी तत्पुरुष समास
नञ समास
तुलनात्मक
नामधातु
सम्प्रदान कारक
समस्त पद
तुलना करो
प्रेरणार्थक
ज्योतिष
संकेत सूचि
पर
ज्या
कम० वा०
कर्तृ
वा०
व० व०
उत्तमावस्था
एक वचन
सार्वनामिक (निर्देशक )
विशेषण
विशेषण
बीजगणित
क्रिया विशेषण
वर्तमानकाल
भूत काल
प्रादि समास
नञ बहुव्रीहि समास
नञ, तत्पुरुष समास
पुंल्लिंग
नपुंसक लिंग
स्त्रीलिंग
सकर्मक
पृषोदरादित्वात्
म० अ०
अ० पु०
म० पु०
उ०
पु०
व० स०
भवि०
इच्छा०
भू० क० कृ०
सं० कृ०
वर्त्त० कृ०
विप०
करण०
कर्तृ
कम ०
०
आलं०
वार्ति ०
व०
अने० पा०
संबो०
यड०
संबं०
त०
श०
अधिo
उप०
भ्वा०
अदा०
ज०
स्वा०
दि०
तु०
क्या०
च०
रु०
तना०
परस्मैपद
ज्यामिति
कर्म वाच्य
कत्वाच्य
वह वचन
मध्यमावस्था
अन्यपुरुष
मध्यम पुरुष
उत्तम पुरुष
बहुचीहि समास
भविष्यत्काल
इच्छार्थक, सन्नन्त
भूतकालिक कर्मणि
कृदन्त (क्त )
संभाव्य कृदन्त ( तव्यत्)
वर्तमानकालिक कृदन्त
( शत्रन्त या शानजन्त)
विपरीतार्थक
करणकारक
कर्तृकारक
कर्मकारक
आलंकारिक
वार्तिक
वैदिक
नाना पाठान्तर
संबोधन
यङलुङन्त
संबंध
तदेव
शब्दश:
अधिकरण कारक
उपसर्ग
भ्वादिगण
अदादिगण
जुहोत्यादिगण
स्वादिगण
दिवादिगण
तुदादिगण
दिगण
चरादिगण
रुधादिगण
तनादिगण