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विशेष वक्तव्य
 
छात्रों की आवश्यकता का विशेष ध्यान रखकर इस कोष को और भी अधिक उपादेय बनाने के लिए प्राय:
सभी मूल शब्दों के साथ उनकी संक्षिप्त व्युत्पत्ति दे दी गई है ।
 
शब्दों की रचना में उपसर्ग और प्रत्ययों का बड़ा महत्त्व है इनकी पूरी जानकारी तो व्याकरण के पढ़ने
से ही होगी। फिर भी इनका यहाँ दिग्दर्शन अत्यंत लाभदायक रहेगा ।
 
उपसर्ग——"उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते । प्रहाराहार संहारविहारपरिहारवत् ॥'
उपसर्ग धातुओं के पूर्व लग कर उनके अर्थों में विभिन्नता ला देते हैं
 
उदाहरण
 
उपसर्ग
 
अति
 
अघि
 
अनु
 
अप
 
अपि
 
अभि
 
अव
 

 
उत
 
प्रत्यय—धातुओं
 
तद्धित कहलाते हैं ।
 
कृत्प्रत्यय
 
अ, अङ
 
अच्, अप्
 
अनीयर्
 
इष्णु च्
 
अत्यधिकम्
अधिष्ठानम्
 
अनुगमनम्
 
अपयशः
 
पिधानम्
अभिभाषणम्
अवतरणम्
 
आगमनम्
 
उत्थाय, उद्गमनम्
 
उदाहरण
 
पिपठिषा
 
छिदा,
 
पचः, सरः
 
करः
 
कुम्भकारः
 
वेपथु:
 
करणीय, दर्शनीय,
 
स्पृहयालु
 
पचि:,
 
उप
 
BEMEEE F = Atom
 
स्तनयित्नु
 
रोचिष्णु
जिगमिपुः
 
कारुः,
 
दुस्
 
नि/
 
निस्
 
निर्
 
परि
 
प्र
 
प्रति
 
वि
 
के पश्चात् लगने वाले प्रत्यय कृत् प्रत्यय कहलाते हैं । शब्दों के पश्चात् लगने वाले प्रत्यय
 
सु
 
ऊक
 
क ( अ )
 
कि (इ)
 
कुरच्
 
क्त ( त, न )
क्तवत् ( तवत् )
कितन् (ति)
क्त्वा ( त्वा )
 
कु (नु )
 
क्यच्
क्यप् (य)
 
क्रु (रु)
क्वरप् (वर)
 
विप्
 
उपगमनम्
दुस्तरणम्
दुर्भाग्यम्
 
निदेश:
 
खच् (अ)
घञ (अ)
 
निस्तारणम्
निर्धन
पराजयः
 
परिव्राजकः
 
प्रबल
 
प्रतिक्रिया
 
विज्ञानम्
 
सुकर
 
जागरूक
 
ज्ञः, दः,
 
चक्रिः,
 
विदुर,
 
हत, छिन्न,
 
उक्तवत्,
कृतिः
 
पठित्वा
 
गृध्नु
 
पुत्रीयति
 
कृत्य,
 
भीरु
 
नश्वर
 
स्पृक्, वाक्
 
स्तनंधयः
 
त्यागः, पाक: