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मात्मनि, RB समुत्सेकमाषनि; KRB बहुमन्वाना. Z19 KRB 'वचनमन्यथा; B निश्चित्त०; KRB
सर्प०; RB सत्पात्रस°. Z20 Hom का° परि०; B °नृत; KRB •यनेक° ; H om प्रसृमर. 2 21
KRB पद्यना. Z22 RB पुजां. Z23 H प्रसादो०. Z24 B मुंडतयो; चंडाशो॰; वन्हयंगार;
H ॰युग्मभजनिष्ट. Z25 B सु st. स. 226 Hom यत bis °दरम्; RB यतदुक्तं ; B शटे; R अतिशठं,
B अतीशठं 227 H पचा लुंचिताः मया ते शिरी मुंडितं. Z28 HK प्रोस्फु०; B प्रोत्सुरति.
Z29 RB सप्तती.. Z30H महीपतिं. Z32 KRB पंजरशानं; B जिघांसु; KRB • भिहारणे. 236
B • मौन येव; K विनयदर्पः, RB विनयंदर्प: 237 B समाप्ता. 238 Bom श्रीरस्तु.
 
अकारणं व्याकरणं
अङ्गुल्यग्रेण यज्जप्तं
अतिक्लेशेन ये ह्यथी
 
अतिथिश्चापवादी च
 
अतिरूपाद्नता सीता
 
अतिव्ययो न कर्तव्यो
 
अध्वा जरा मनुष्याणां
अनृतं साहसं माया
अपांसुलां पुष्पिर्णी च
अपूज्या यत्र पूज्यन्ते
अमृतं शिशिरे वह्नि
अयमेव परो धर्मो
अरिर्मित्रं विषं
अर्थातुराणां न सुखं
 
अलसं निष्ठुरं
 
अश्वलुतं वासवगर्जितं च
असारः सर्वतः सारो
 
आपदर्थ धनं
आयुर्वित्तं गृहच्छिद्रं
आर्तेषु दीयते दानं
आहार निद्राभय°
 
Verzeichniss der Verse.
 
326 (10)3
324 (8)5
 
360 (44)
 
325 (9)6
 
320 (4)25
 
320 (4) 23
 
341 (25) 19
 
327 (11) 20
 
365 (49)30
 
324 (8)15
320 (4)12
 
324 (8)18
 
335 (19) 32
 
320 (4)33
 
321 (5)28
 
334 (18) 19
 
329 (13) 12
 
321 (5)12
 
330 (14) 20
 
368 (52)12
 
348 (32) 29
 
उत्कोचं प्रीतिदानं च
उत्तमाः स्वधनैः ख्याता
 
उदीरितो ऽर्थः पशुनापि
 
एकेनापि सुपुत्रेण
 
काके शौचं
 
किं हससि भरद्वाज
 
कोकिलानां स्वरं रूपं
 
को अर्थ: पुत्रेण जातेन
 
क्रोधो वैवस्वतो
 
क्षुधासमं नास्ति
 
गिरौ कलापी
 
गुरुरमिर्द्विजातीनां
 
चोरदण्डः शिरश्छेदो
 
जायमानो हरे०
 
जीवन्तोऽपि
 
411
 
तुलां लोहसहस्रस्य
त्यजेत्स्वामिनमत्युग्रं
 
दुर्दिवसे घनतिमिरे
 
326 (10) 28
332 (16) 29
 
348 (32)27
 
326 (10) 12
 
334 (18)4
 
341 (25)
 
324 (8)21
 
326 (10),
 
323 (7)36
 
338 (22)36
 
327 (11)₁
 
325 (9)4
 
357 (41) 25
 
321 (5)15
 
322 (6)18
 
371 (55) 28
 
340 (24),
 
363 (47) 14