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२८
 
अथ वादशिक्षा ।
 
काव्यकल्पलतावृत्तिः
 
अथ प्रथमप्रताने चतुर्थस्तबकः
 
वावेऽनुप्रासयुक्तोक्तिः स्वोस्कर्ष: परगर्हणा ।
कुलशास्त्रादिसम्प्रश्नः स्वशास्त्राध्ययनप्रथा ॥ १ ॥
अनुप्रासयुक्तोक्तिर्यथा—
 
जल्पामि कल्पामितश्रीब्रूमो भूमोटनाश्रिताः ।
वदामि दामि भो जल्पिष्यामि श्यामितशात्रवः ॥ १ ॥
 
जल्पामोऽनल्पसम्बोधवादसादरनादभृत् ॥
 
एवं शब्दाः सानुप्रासाश्चिन्त्या वादोक्तियुक्तये ।
कियन्तोऽपि सानुप्रासाः शब्दाः, यथा-
सूरि भूरि पूरित सूरीणाम्, दूरि कुरी क्रूरीकृतम्, दम्भ जम्भ रम्भ लम्भ
भम्भ क्रूर तूर पूर सूर पूरण क्षोभ लोभ प्रेम स्थेम हेम क्षेम हेमया येमया खेम
 
ते महान्तः प्राज्ञ मान्य धान्य नान्य तान्यव्यवस्थापयन् भूप स्तूप धूप यूप कूप रूप
सूपकार भूम्याम् धूम्याम् अवन्याम् वन्याम् गुर्वी उर्वी उर्वीधर क्षोणी श्रोणी
शोणीकृत द्रोणी क्ष्मायाम् मायाम् छायाम् जायाम् सायान्धतमसम् व्योम सोम
रोम स्तोम कोमल लोम कोमया यो महान् उक्ति युक्ति भुक्ति शुक्ति मुक्ति
सोहम् मोहम् द्रोहम् दोहम् कोहङ्कारः दोह लौह दोहद सन्देह सन्दोह दुग्ध
मुग्ध स्निग्ध विदग्ध दात्र गात्र पात्र क्षात्र नात्र छात्र मात्र शात्रव गोत्र
स्तोत्र कोत्र पोत्र योत्र होत्र कुर्याम् माधुर्यम् चातुर्यम् तुर्यम् पुर्याम् काव्यम्
श्राव्यम् नाव्यम्, क्रव्यम् वाद नाद माद साद सादर छाद शाद यादः पाद
अब्द शब्द ध्यान अध्यान ध्मान गान ज्ञान वान स्थान पान भान मान
यान घोष जोष तोष दोष शोष पोष लीला कीला कोलाहल गोला दोला
तोलन लोलुप मन्द्र चन्द्र तन्द्र चन्द्रमाः सान्द्र पद्र भद्र मद्र वाचः काच प्राचलत्
साच वाचि काचित् साचि वाचाल वाचाट प्राचालीत प्राणी वाणी बाणी
पाणी कृत्या भारत्या क्षारत्यागम्, भाषा शाखा गावो नावो प्रस्ताव स्थावर
दाव पावन भाव राव हाव सरस्वत्या सत्यापितनत्या हत्या पत्या मत्या
रत्या गीर्वाण गोर्वाण कविता भविता सविता पविता रचिता पाता नैव दैव
व धीर कीर क्षीर चीर जीरक तीर नीर वीर सीर हीर कोटीर कुटीर
वानीर महीरमण आरब्ध लब्ध स्तब्ध वर्ण कर्ण अर्ण वर्णक तर्णक अर्णक