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निकरनिबहौ च नियमो
निकरेण प्रीतिकरं
निजानीरैः स्नपिता
 
नित्यं यत्पदपद्मयुग्म
निद्रान्तेषु वने द्विषः
निद्रामुद्रापरिचयलवा
निपातायनद्रव्य
निर्धात रथघोषज्या
निर्देशार्थे विकृत्यर्थे
 
निर्माल्यभङ्गिकरणी
निसर्गसर्गप्रकृति
निस्तु नेतरि नुस्तुत्यां
नि स्यात् क्षेपे भृशार्थे च
निहतजटायूरक्षस्कन्धौ
निहितनिबद्धपरोचित
निःश्रीकोऽपि विभीविभात
 
नीरादिषु प्रतिशरोर
नीलकण्ठसदङ्नीलो
नीलकृष्णयोर्हरित
नीलानि बुधकर्कोटौ
 
नीलोनानलिनेलोला
 
नीलेभ्यो वसनप्राया
 
नीलोत्पलञ्जरद्धस्ती
 
नीलोत्पलं च कुमुदं
नूनमन्यून निखिल
नूनं तर्के निश्चये वाऽपि
नृत्योत्कन्धरता स्मेर-
नृपे विद्या नयः शक्ति-
नेत्रदन्तनखा दर्शा
नेताऽनन्तनतोऽनन्तः
नेदं मुखं शशी किं तु
नैष्फल्ये भ्रमतः कार्य-
श्लोकानुक्रमणी
 
६५ न्यायस्थैर्यविवेक कीर्ति
न्युपसर्गशब्दपृष्ठगराजी
परमधार्मिकतिथय-
परमन्तरसाटोपं
 
५०
 
१९२
 
परमविशदस्वदशा
 
परमाणुतनोरग्रे-
परमेष्ट: परमेष्ठी
पराथं स्वार्पणं लक्षणेन
 
परः परशुपाणिश्रीः
 
१९२
 
१७९
 
२०१
 
१७७
 
१८५
 
६२ परिकीर्तित केकिरवं
 
५२
 
पर्णोद्गम हिमद्योत
 
११२
 
११५
 
१००
 
६८
 
२०१
 
१९६
 
५३
 
३७
 
१५५
 
११६
 
४७
 
१०
 
१३६
 
५२
 
११७
 
१७५
 
पलाण्डुपाण्डुरहर
पल्लवैर्नवरागेव
 
पल्लवोऽम्बुजमङ्गल्य:
पशोगंणेभ्यो भूताच्च-
पश्चिमाद्रेर्मणिशिरः
 
पक्षनदीतटरथधुर्य
 
पक्षीन्द्रपक्षैरवतंसकाङ्क्षा
 
पञ्चकुलमहाभूताः
पञ्चाक्षरं समासे के-
पञ्चेषुद्विभेदपञ्च
 
पतङ्गचङ्गतरणि-
पत्युः कान्ता दयिता वधूः
 
पदान्तेऽपि पदमध्ये च
पदार्थानां मिथः साम्यं
 
पद्मनाभो गुरुविष्णो-
पद्मरागसुरारक्त-
पद्मरागो मरकतं
 
३३
 
१८७
 
पद्मेन स्पर्द्धते वक्त्रं
 
१२३
 
पादगूढे चतुर्थपाद
१४० पादपूरणेऽवधूतौ तु
१७९ पादाङ्गुलीभिर्युधि-
२१५
 
१४५
 
६६
 
१९३
 
८३
 
६३
 
१९७
 
५५
 
५६
 
५३
 

 
१९८
 
6
 
१४०
 
१३७
 
४६
 
१९६
 
१८९
 
३०
 
१६१
 

 
१६१
 
४१
 
१८१
 
१५५
 
१८७
 
१३८
 
१३४
 
११५
 
१९४