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द्वादशानामप्यर्काणां
 
द्वापरबिवाहपाताल
द्विजघनवर्जितमेतद्भबद्भवे
द्वितीयेऽनुष्टुभः पादे
द्विषन्मृगाक्षोनयनाञ्जनानि
द्वीपः शरावः कंसाल
द्वेषिवृक्षपरिप्लावि-
द्वेष्यस्याङ्गसुहृद्भङ्गैः
धरभतृमालिमत्वर्थ-
धर्मध्यानव्यसन
रसिका
 
धर्मलोपे शशीवास्यं
धर्मेवाद्युपमानानां
 
धर्मः सद्वचनं सन्तः
 
धवलो प्रबलो लक्ष्य
 
धात्री वसुन्धरा भूमि:
 
धामभावो प्रभावश्च
धायत्वेशारंशुमाली
धायात् ध्वजास्त्रपाण्यङ्क
धिषणो धिषणोदग्र
 
धीरोचितो धनव्यास-
धूमकेतुर्महापद्मा
धूर्यानवदने भारे
धूसरा रेणुमण्डूक-
धैर्यदन्तावलक्रीडा
धैर्यसूर्यपरिम्लान
ध्याये यत्र नगग्रहाति-
ध्वस्तध्वान्तभरा रत्न
ध्वान्ताहिभ्यो द्विषः
ध्वान्ताहिविषनागाब्धि-
ध्वान्तेभ्यो रिपवो गोद्य
 
नग्नच्छिन्नाङ्गरोगात
नजीषदर्थे सादृश्ये
नतनाकिमौलिमणि
 
काव्य कल्पलतावृत्तिः
 
३७
१९१
 
१८१
 
२१
 
१८१
 
१६१
 
१४६
 
१७६
 
४१
 
नदीनां जह्न तनया
नदी विमानहनुमन्ती
 
१९६
 
१३५
 
ननु समशुभसम्पन्ना
न पूर्वोत्तरभागस्थैः
 
नभोदिनेभ्यो रत्नानि
नभो नभोमणिः प्रांशुः
नभोवननदोपीन
नमदखिलधरित्रीनाथ
 
नमस्कारपरावर्त
नमस्तस्मै महादेवाय
 
नमस्तुङ्ग श्चिरश्चुम्बि
१३५ नमस्यामि सदोद्भूत
नम्रकनं काम्यकाम
 
१८३
 
५१
 
न यज्ञयज्ञपुरुष
 
१० नलिनानि पानमधुभाजनानि
 
६५
 
४३
 
४१
 
५६
 
नवच्छायोच्छ्यारोह
नवधूसरसाटोपः
नवभास्वत्सुखोद्योत
 
नवानीता भवानी सा
 
६५
 
नवाकं इव रक्तोऽयं
 
१५३
 
नवीनतपनीयश्री
 
११३
 
नष्टाप्तिः स्वस्पृहालब्धि
 
१५७
 
१४५ नसमरसला गः षड्वेदै
नानाविनोभयानेका
 
१४६
 
१९२
 
नाभेरम्भोजमावर्ती
 
१३
 
नाम्नामेकार्थनानार्थे
 
नाम्ना वतचपषा
 
१४०
 
४५
 
१८२ नाशावयवयोः स्यादी
 
११५
 
नासावंशबिनायक
 
१३३ नास्तो वास्तोष्पतिः क्षोणी
 
नारङ्गचतकरुण
नारायणदामोदर-
२६
 
१८४
 
९३
 
१८
 
४५
 
५६
 
१३०
 
१४
 
१३
 
१६
 
१६
 
१७
 
५०
 
५४
 
१७७
 
५२
 
८१
 
६५
 
५३
 
१३७
 
६२
 
१८३
 
११६
 
१३७
 
११२
 

 
१६२
 
३७
 
११४
 
१८९
 
५५