शार्ङ्गधरपद्धतिः /749
This page has not been fully proofread.
७३४
पथि निपनितां..
पढं तदिह नास्ति.
पदद्वये यदा वर्ण०
पदशब्दलीन ●
पदस्थ: स्वरसंघात.
पदस्थितस्य
पच मुक्तास्तरल ०.
पद्ममसन
पद्मासनं प्रसिद्धं
पनसलकुच 9
पनसाम्रमभूका ०
पन्नगाः सन्ति बहुशो
पयास निषिक्तं
पयोधराकारभरो
परदारपरद्रव्य०...
परदारा न गन्तव्याः
परदाराभि●
परमाणोरापे
परमिममुप
परमो मरुत्स०
परलोकहितं
परस्पर गुणा १.
परस्परानु
परस्परेण क्षतयो:..
परस्य योनिँ गच्छन्तो
.....
परात्परतरं
परायें य: पीडा ०.
परिचुम्बति संश्लिष्य
परितोषयिता
परिपतति पयो •
परिभ्रमन्त्या भ्रमरी ०
परिमलसुरभि०
परिस्लानं पीन
परिशुद्धामपि
परिहरति वयो
परीक्ष्य सत्कुलं
परेषां केशदं
परोपकारशून्यस्य
पर्जन्य इव भूतानां
पर्यङ्क: स्वास्तरण:
पलायनमरीणां
पलाशबीज ●
पलाशशाखिनः
पलाशाः काञ्चनारा०
शार्ङ्गधरपद्धतिः
881
1044
1975
3497 पश्चिममूलं शान्तं.
1946
पश्चिममूले शान्ते.
487
। पश्चिमायां भवेत्
पश्यति जिघ्रति
3282
4431
1796
2121
2128
1480
2134
3927
667
653
723
4256
72
793
671
3121
1929
3977
2551
690
1052
3785
पादांशपच०
347 पादाङ्गुष्ठेन भूमि
3588
3914
990
3401
पछिकाया गृह०
पल्लीभुजेपसत्र्ये...
पवनाज्जायते
355
3275
405
1513
1478
1283
3766
31
2947
2098
2110
पश्यन्हतो मन्मथ ०.
पईयोदेति वियोगिनां.
पाटलया वनमध्ये..
पाटलादाडिमी 9
पाठापथ्यावचा०
पाठामूलं लिप्तं
पाठा मूलं वि०
पाठीन: कमठः कटि ०
पाणी ताम्रघटी
पाणी मा कुरु
पाणी पद्मविया
पातः पूष्णो भवति
घात
तालतः किमु
पातालादूर्ध्वगमः
पातालान्न वि०
पातुं त्रीणि जगन्ति
पातुं यस्य च दद्यात्..
पात्रमपात्री 9
पादन्यासं क्षिति ०
पादा : पञ्चन खा ●
पादाहृतं यदु १
पादाहतोपि
पाढे पादे पञ्च
पादे मूर्धनि
पादे सर्वगुरा०
पादी सुविस्तरौ
पानमक्षास्तथा
पानीयं नालिकेरी ०
। पानीयं पातुमिच्छामि
पान्तु वो जलद...
पान्थजननी तथोमा
....
पान्थावार इति
पापिष्ठं दुर्भगा०
पायं पायं पिब.....
2538
2530
1945
2779
2790
2760
2357
3356
3626
1014
2129
2970
2965
2916
133
4026
3461
3803
745
927
4080
2175
257
4017
2869
370
760
3009
3463
2825
265
361
2826
3569
2066
1792
1389
3807
530
113
2677
983
599
1151
पथि निपनितां..
पढं तदिह नास्ति.
पदद्वये यदा वर्ण०
पदशब्दलीन ●
पदस्थ: स्वरसंघात.
पदस्थितस्य
पच मुक्तास्तरल ०.
पद्ममसन
पद्मासनं प्रसिद्धं
पनसलकुच 9
पनसाम्रमभूका ०
पन्नगाः सन्ति बहुशो
पयास निषिक्तं
पयोधराकारभरो
परदारपरद्रव्य०...
परदारा न गन्तव्याः
परदाराभि●
परमाणोरापे
परमिममुप
परमो मरुत्स०
परलोकहितं
परस्पर गुणा १.
परस्परानु
परस्परेण क्षतयो:..
परस्य योनिँ गच्छन्तो
.....
परात्परतरं
परायें य: पीडा ०.
परिचुम्बति संश्लिष्य
परितोषयिता
परिपतति पयो •
परिभ्रमन्त्या भ्रमरी ०
परिमलसुरभि०
परिस्लानं पीन
परिशुद्धामपि
परिहरति वयो
परीक्ष्य सत्कुलं
परेषां केशदं
परोपकारशून्यस्य
पर्जन्य इव भूतानां
पर्यङ्क: स्वास्तरण:
पलायनमरीणां
पलाशबीज ●
पलाशशाखिनः
पलाशाः काञ्चनारा०
शार्ङ्गधरपद्धतिः
881
1044
1975
3497 पश्चिममूलं शान्तं.
1946
पश्चिममूले शान्ते.
487
। पश्चिमायां भवेत्
पश्यति जिघ्रति
3282
4431
1796
2121
2128
1480
2134
3927
667
653
723
4256
72
793
671
3121
1929
3977
2551
690
1052
3785
पादांशपच०
347 पादाङ्गुष्ठेन भूमि
3588
3914
990
3401
पछिकाया गृह०
पल्लीभुजेपसत्र्ये...
पवनाज्जायते
355
3275
405
1513
1478
1283
3766
31
2947
2098
2110
पश्यन्हतो मन्मथ ०.
पईयोदेति वियोगिनां.
पाटलया वनमध्ये..
पाटलादाडिमी 9
पाठापथ्यावचा०
पाठामूलं लिप्तं
पाठा मूलं वि०
पाठीन: कमठः कटि ०
पाणी ताम्रघटी
पाणी मा कुरु
पाणी पद्मविया
पातः पूष्णो भवति
घात
तालतः किमु
पातालादूर्ध्वगमः
पातालान्न वि०
पातुं त्रीणि जगन्ति
पातुं यस्य च दद्यात्..
पात्रमपात्री 9
पादन्यासं क्षिति ०
पादा : पञ्चन खा ●
पादाहृतं यदु १
पादाहतोपि
पाढे पादे पञ्च
पादे मूर्धनि
पादे सर्वगुरा०
पादी सुविस्तरौ
पानमक्षास्तथा
पानीयं नालिकेरी ०
। पानीयं पातुमिच्छामि
पान्तु वो जलद...
पान्थजननी तथोमा
....
पान्थावार इति
पापिष्ठं दुर्भगा०
पायं पायं पिब.....
2538
2530
1945
2779
2790
2760
2357
3356
3626
1014
2129
2970
2965
2916
133
4026
3461
3803
745
927
4080
2175
257
4017
2869
370
760
3009
3463
2825
265
361
2826
3569
2066
1792
1389
3807
530
113
2677
983
599
1151