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धर्मः प्रागेव चिन्त्यः.
धर्मशास्त्रार्थ ०
 
धर्मस्य विवृति०
धर्माज्जन्म कुले
धर्मे मतिर्भवतु वः
बवलान्यातपत्राणि
वाटीभयं स ऐशाने
धातुवादेषु वित्ताशा
धातोर्धात्वन्तर •
धात्रीफलरसे०
 
धान्ये पयो वा
धान्यस्य राशी
 
धान्याकनागर ०
 
धाम्नः कुमारिका.
धारा वातं धुनानाः,
धारा शुभ्रा भवेत्
धार्मिक पालन
धावन्तः प्रतिवासरं
धाविला सुसमाहितेन
धिक्चेष्टितानि
 

 
धिक्तस्य मन्दमनसः
धिक्लां से कलि०
विग्वारिदं..
धीरोनुरक्तो हस्तिन्यां
धूप: सर्जर सो०
धूपो घृतस्य
धूलीभूसर ०
धृतधनुषि शौर्य ०
ध्यानव्याजमुपेत्य
ध्यानेन जल •
ध्रुवं जयोस्तीति
ध्रुवमृदु मूल ●
ध्रुवावर्ता दश प्रोक्ता.
ध्वस्तः काव्योरु मेरुः
ध्वस्तिः प्राप्तिस्तथा
 
न कश्चिञ्चण्डकोपानां
 
• न कश्चिदपि जानाति
 
न कालः खड्ग ०
 
न कालस्य न शकस्य
 
न किंचित्केनचित्
न कुर्यात्परदारेच्छा.
न कुर्यादाभिचारो
 

 
शार्ङ्गधरपद्धतिः
 
1405
 
1343
 
22
 
680
 
678
 
1383
 
2515
 
1539
 
2893
 
3012
 
2473
 
2527
 
4033
 
2840
 
3881
 
4636
 
1282
 
4109
 
4159
 
996
 
3323
 
194
 
865
 
1586
 
3016
 
2247
 
575
 
3965
 
131
 
2930
 
2387
 
2139
 
1649
 
3999
 
4451
 
1376
 
647
 
1320
 
3988
 
4241
 
1506
 
1526
 
न कुर्युयोग्य
न कुलानामपि
न केवलं मनुष्येषु
न कोकिलाना ०
 
न क्रोधयातुधानस्य .
 
नखगुरु सिल्हक●
नखदन्तविकारी
न खनति खुरैः
न गजानां सहस्रेण
 
न गजैर्न नरैः
 
न गणराग्रतो
 
न गृह्णाति
नम्नं क्षपणकं
 
न च गन्धवहेन
 
न च स्वर्गे न
 
न चात्र परिहारो०
 
न जाङ्गला न
 
न जाने संमुखा •
 
नटनारायणः
 
न ताक
 
न तच्छस्लेर्न..
 

 
न तज्जलं यन्त्र
 
न तदस्ति जगत् ०
 
न तद्भुक्तं न
 
न तु हन्यान्मही ०
 
नतोषणं निशा
नद्रीज लङ्कश०
नदीतटे वाथ रटन्
 
न दैवमिति संचिन्त्य
 
नद्या यद्यपरिभ्रष्टुं
 
नद्यो नीचरता
 
न द्विषन्ति न.
 
नध्यातं पदं
 
न ध्वानं कुरुषे
 
ननु संदिरोति
नन्दद्वयेन्दुवर्णा
नन्दनरेन्द्र
 

 
नन्दन्ति मन्दाः श्रिय०
 
नन्दयति कस्य
 
न परालेपं
 
न पाणिग्रच्छाद्यं
 
नपुंसकमिति
 
न पुत्रः पितरं.
 
न पुत्रत्वेन पूज्यन्ते
 
2113
 
2754
 
444
 
892
 
1518
 
3260
 
2974
 
970
 
1363
 
1610
 
1464
 
926
 
4582
 
1010
 
1758
 
3044
 
2120
 
3522
 
2055
 
1016
 
1356
 
3904
 
4199
 
475
 
1349
 
2909
 
531
 
2670
 
454
 
615
 
814
 
1423
 
4152
 
967
 
3140
 
1988
 
381
 
4124
 
3866
 
83
 
3943
 
3451
 
1484
 
1486