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७१०
 
आः कष्टं वन०
आकर्णपलितः
 

 
आकर्ण्य गुञ्जितरवं
आकर्ण्य स्मरयौव
आकर्षन्निव
आकेशिक ०
आकार: कमनीय
 
आकारणाय
 
आकारमात्र०
 
आकाशवारणां
 
आकाशवापीसित●
 
आकुञ्चितोरू०
आक्रम्य यहिजे.
आखुना भक्षिता ०.
आख्यायिकानुरागी
आगच्छन्सूचितो.
 

 
आगताः पाण्डवाः
आगत्य प्रणिपात
आगत्य संप्रति.
 
आगन्तौ जाङ्क्षि के.
 
आगमिष्यन्ति.
आगारदाही
आग्नेये यदि
आग्नेय्यामनला ●
भनातं परिलीट●
 
आजानुलम्बि०
 
आतपासहनः
 
आघायात्राय
 
आचमहे वत.
आचार्य: सप्त०
आचार्येण धनु०
आचार्यमानीय
भाजन्मब्रह्मचारी,
 
आजन्मस्थितयो
 
भाताम्रौ पूजितावोष्ठौ .
 
आतिथ्ये श्राद्ध०
 
आत्तमात्तमधि●
आत्ते सीमन्त०
आत्माधीन ०
 
आत्मानं च जगत्०
 
आत्मानं प्रथमं
 
आत्मानं सुस्थिरं
 
शार्ङ्गधरपद्धतिः
 
946
 
3986
 
1217
 
3865
 
583
 
1839
 
813
 
2899
 
268
 
4398
 
3628
 
1794
 
1317
 
2956
 
4036 आमानो दूताव
 
3527
 
आनन्दमादधत
 
534
 
आनन्दाय सत
 
3576 आनृशंस्यं क्षमा
आपत्स्व हि
 
3735
 
2656
 
311
 
711
 
2224
 
2475
 
1106
 
585
 
1066
 
1722
 
1719
 
2333
 
3994
 
1122
 
3111
 
2259
 
1619
 
आत्मार्थ यः प
आदानं चैव तूणीरा०.
 
आदाय पचं त्वरितं
आदाय मांसम०
 
आदाय वारि परितः.
 
आदितालो जयन्त
आदित्यरथवेगेन
 
आदिमध्य
आदौ दर्शयति नतिं
 
आद्यन्ती च
 
आद्ये जरमुषि ताम्र०.
 
आदो यामे तु
आद्यैर्मद्रिहितैः
 
4556
 
3845
 
1276
 
315
 
4472
 
1285
 
1808
 
आद्यो ध्रुवस्ततो
 
आधारः कन्द०
 
आवारजन्मभूतानि
 
आपाण्डुरा च मृत्स्ना
आ पुष्पप्रसरात्
 
। आर्येत पुनः
आवश्नत्परिवेष ०
 
आभूनाङ्गुलि
आभोगचैकखण्डः
 
आभोगे च पक
 
आमन्त्रणजय ०
 
आ मरणादपि.
आमोदीनि सु०
 
आमोदेस्तै ●
 
आम्नाया ना०
 
आम्रैः क्षेमं भातकै ●
 
आयाच्चतर्थ भागन
 
। आयातासि विमुञ्च
आयाति हृष्टो ....
आयाते दयिते मनो ०
 

 
आयाते दयिते मरु ०
 
आयाते श्रुतिगोचरं
आयातो भवतः
 
आरक्ततामेति मुखं
 
आरब्धे दयिता •
 
आरात्कारीष०
 
633
 
1842
 
2611
 
4015
 
1083
 
1980
 
2951
 
247
 
2701
 
2883
 
3727
 
3144
 
12
 
1964
 
4298
 
4467
 
3853
 
70
 
11
 
674
 
214
 
2185
 
1028
 
1179
 
3309
 
3291
 
1971
 
1973
 
4048
 
882
 
1050
 
998
 
548
 
2317
 
1392
 
3779
 
2602
 
3680
 
3528
 
3382
 
576
 
4588
 
3325
 
3948