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(78) देव्याः नामिवर्णनम्
(79) मध्यकाइर्थवर्णनम्
(80) मध्यन्त्रिवली वर्णनम्
(81) देवीनितम्बविस्तार वर्णनम्
स्त्रीधनवैविध्यम्
 
(82) देव्याः ऊर्वोः जान्चोश्च वर्णनम्
 
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भवच्छब्दयोगसामान्ये मध्यमपुरुषप्रयोगविचार:
 
(83) देव्याः जङ्घाकाण्डवर्णनम्
 
(84) भगवतीचरणारविन्दयोः स्वमूर्धन्यलङ्करणीयत्वप्रार्थना
 
भगवतीपादाब्जयोः वेदान्तप्रतिपाद्यमानत्वम्
 
(85) भगवतीपादयोः नमस्कारार्पणम् ।
(86) देवीपादनूपुररणितवर्णना
 
(87) देवीपदयोः अरविन्दादपि अतिशयिवसौन्दर्यवर्णनम्
(88) देवीपादाग्रमहिमा
 
(89) देवीपदयोः कल्पवृक्षादिभ्योप्यतिशयितेष्टार्थप्रदत्वम्
(90) स्वस्य देवीपदारविन्दमकरन्दरसानुभवेन धन्यताप्रार्थना
(91) देव्याः हंसगतिवर्णनम्
 
(92) देव्या त्रिमूर्त्यतिशयित कन्तिमत्त्ववर्णनम्
ब्रह्मपुर्याः तत्त्वमयता
 
(97) . देव्याः त्रिमूर्त्यतीतशक्तिमत्वम्
(98) देवीपादतीर्थप्रार्थना
 
पादतीर्थप्रार्थनायां ऐतियम्
 
185-4
 
186- 1
 
तत्त्वानुसन्धानस्थानानि
 
186-4
 
(93) देवीकारुण्यातिशयवर्णनम्
 
186-14
 
(94) ब्रह्मणा देण्यर्थे कस्तूरीपन्नीरकर्पूरमयेन्दुमण्डलस्य कल्पितस्ववर्णनम् 187-13
(95) देव्यन्तःपुरगाम्भीर्यवर्णनम्
 
188-17
 
(96) देव्याः पातिव्रत्यपारम्यवर्णनम्
 
189-16
 
190-16
 
191-19
 
193- 1
 
1934
 
193-18
 
अन समयकौलमतयोः भेदः
 
(99) देवीभजनस्य ऐहिकामुष्मिकसर्वसम्पत्प्रदत्वम्
 
168-9
 
169-7
 
170-5
 
171-20
 
172-6
 
173-8
 
174-4
 
175-1
 
176-3.
 
176-9
 
177-20
 
179- 1
 
180-3
 
181- 1
 
182- 1
 
183-1
 
184 -3
 
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