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(57) नीचेष्वपि देवीकटाक्षपातप्रार्थना
 
(58) कर्णनयनयोर्मध्यस्थपाल्याः शरसन्धानरूपता
(59) दर्पणवन्निर्मलगण्डस्थल वर्णना
 
(60) देव्याः अमृतमयवाण्याः नादवर्णनम्
 
(61) मुक्तामणिरक्षितनासावर्णनम्
(62) विद्रमारुणाधरबिम्बवर्णनम्
 
(63) सदा स्मितपूरितमुखबिम्बवर्णनम्
 
(64) सदा शिवमन्त्रजपपरायणजिह्वावर्णनम्
 
(65) देवीबदनचर्वितताम्बूलकबलमहिमा
 
(66) सरस्वत्याः वीणानादादपि देवीकण्ठनादस्य मधुरता
 
(67) पितृपतिभ्यां लालितस्य देवीचुबुकस्य वर्णनम्
 
(68) शिवाश्लिष्टदेवीकण्ठस्य हारस्य च वर्णनम्
(69) देवीकण्ठस्थितरेखात्रय वर्णनम्
 
मुखकण्ठमध्यस्थानेषु वलित्रयस्य भाग्यविशेषसूचकता
 
सङ्गीतस्य मार्गद्वयम्
 
पञ्चविधगमकाः
 
धातुमात्वोः स्वरूपम्
मङ्गलसूत्रसरन्त्रिसराणां बन्धनविधिः
अत्र देशाचारवैविध्यम्
 
सङ्गीतशास्त्रानुबन्धिगीतरागादिस्वरूपोपपादनम्
 
(70) भुजलताचतुष्टयवर्णनम्
 
(71) नखकान्तिसमावृत्तकरपल्लववर्णनम्
(72) कुचयुगस्थौल्यवर्णम्
 
(73) देवीस्तन्यस्य अमृतस्वरूपत्वम्
(74) देवीष्टतमुक्ताहारवर्णनम्
 
- मौक्तिकोत्पत्तिस्थानानि, तहूर्णांश्च
 
(75) देवीस्तन्यस्य विद्यारसपरीवाहरूपत्वम्
 
(76) मध्यरोमावल्यारोहवर्णनम्
 
(77) मध्यरोमावल्यवरोह वर्णनम्
 
पु. पं.
 
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