This page has not been fully proofread.

( 42 ) नानारखखचितेन्द्रचापसदृशदेवी किरीटवर्णनम्
इन्द्र चापसादृश्यौचित्यम्
(43) कल्पतरुकुसुमालङ्कतकेशपाशवर्णना
(44) सिन्दूरारुणसीमन्तवर्णना
. (45) कुटिलालकाल कृतवदनवर्गना
(46) इन्दुसुन्दरललाटवर्गना
ललाटे पूर्णचन्द्रस्वोत्प्रेक्षौचित्यम्
प्रसङ्गात् उत्प्रेक्षातिशयोत्तयोः भेदादिनिरूपणम्
( 47 ) धनुराकारयोः भ्रुवोः वर्णनम्
 
(48)
 
(49)
 
li
 
चतुर्विधविशेषणानां निर्देश, विवरणं च
सङ्करानुसृष्टयोः वैलक्षण्यम्
नेत्रवर्णनप्रसङ्गे–अहोरात्रिसंध्यानां नेत्रत्रयात्मकत्वर्णनम्
अस्य सोमसूर्यानलात्मकत्वे पर्यवसानम्
 
देवीदृष्टे: अष्टनगरीरूपता
 
अष्टानां नगरीणां वर्णनम्
 
दृष्टौ नगरीत्वारोपोपपत्तिः
 
(50) फालनेत्रस्यारुण्ये हेतुः
 
(51) देवीदृष्टे: अष्ट (नव) रसमयत्वम्
नवमरसासङ्ग्रहे हेतुः
 
(52) नेत्रयोः कामधनुरूपत्ववर्णनम्
 
षष्ठस्यापि कामवाणस्य प्रस्तावः
 
(53) नेत्रवर्णन्त्रयस्य गुणत्रयात्मकतावर्णनम्
गुणानां वर्णाः
 
निपातेन कर्माथमिधानस्य प्रायिकत्वसूचना
 
तत्र उदाहरणम्
 
दशविधपापकर्मत्यागविधिः
 
(54) देव्यां नेत्रत्र्यसङ्गमस्य त्रिवेणीसङ्गमात्मकता
 
(55) देव्याः निरन्तरनेत्रोन्मेषभावे औचित्यम्
 
(56) तथाविधोन्मेषे लोकोतीतसौन्दर्यनिरूपणम्
 
CC-0. Jangamwadi Math Collection. Digitized by eGangotri
 
पु. पं.
 
124-17
 
125-12
 
126-1
 
127-3
 
128-11
 
129-12
 
130-8
 
130-10
 
131-1
 
132-1
 
132-20
 
133-2
 
133-16
 
134-4
 
135-1
 
135-8
 
135-15
 
137- 1
 
138-3
 
138-7
 
139-6
 
139-11
 
140-9
 
140-10
 
140-14
 
140-14
 
141- 1
 
142-1
 
143- 1