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३६६
वाय्वाघातवशादभिः
वा संज्ञायां
विंशत्यादयो गुणाः
विंशस्यायाः सदैकस्वे
विधिशब्दस्य मन्त्रत्वे
विभाषा कथमि
विपराभ्यां जेः
विभाषा चत्वारिंशत्
विभ्राजमानां हरिणीं
विरिचिश्व विरिञ्चनः
विरोधाभासो विरोधः
विशेषणं विशेष्येण
वोतो गुणवचनात्
*99
व्यत्ययो बहुलं
श
शक्तिश्च शिवतत्त्वं च
शक्कर्घर: शक्तिधरः
शान्तस्य निर्विकारत्वात्
शिशुमारात्मना
• शिखिज्वालारूप:
शिवशक्त्यात्मकं
शी स्वप्
शीतोष्णसुखदुःखे
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि
99
ऋणु देवि महाज्ञान
शैवानामपि
श्रीचक्रे सिद्धयः
सौन्दर्यलहरी
पं.
24
16
112 13
47 9
47 5
280 7
155 18
13
14
46 10
40
2
5 3
138 3
110 3
160
1
160 6
39 20
5 14
111
28
·
षड भिवादो
सध्यानयोगेन
षट्युत्तरं च त्रिशतं
षोडशकलानां
षोडशेन्दोः
2
6
: कला
सकारश्चन्द्रबीज
28 15 स गुरुप्समः प्रोक्तः
138 19
सच्छिष्यायोपदेष्टव्या
138
2 14
280 12
संज्ञान विज्ञानं
5 स तदुचकुचौ
संहारन हरायत्तः
सकरीत्येव शृङ्गार
99
संभावनमथोत्प्रेक्षा
संवत्सरो वै प्रजापतिः
संचित्कामेश्वरः
ष
स तद्वाहारगमन्ता
सदाशिवेन संपृक्ता
""
सपर्यापर्यायः
स
समृद्धिमद्वस्तुवर्णनं
79 6 सम्यग्रज्ञानाधिगमः
123 18 स यदाह
.106 17
सयो ह वा एता
22 1 सर्वतोऽतिवर्थात्
277 1 सर्ववेदान्तप्रत्यय
CC-0. Jangamwadi Math Collection. Digitized by eGangotri
200
2
61 19
51 5
48 20
86
1
90 22
92 11
126 20
37
7
282
2
51
9
53 22
90 7
2
271
83
132
2
7
30 13
50 5
50 11
285 3
71 12
195 12
98 11
93 1
4
11
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वाय्वाघातवशादभिः
वा संज्ञायां
विंशत्यादयो गुणाः
विंशस्यायाः सदैकस्वे
विधिशब्दस्य मन्त्रत्वे
विभाषा कथमि
विपराभ्यां जेः
विभाषा चत्वारिंशत्
विभ्राजमानां हरिणीं
विरिचिश्व विरिञ्चनः
विरोधाभासो विरोधः
विशेषणं विशेष्येण
वोतो गुणवचनात्
*99
व्यत्ययो बहुलं
श
शक्तिश्च शिवतत्त्वं च
शक्कर्घर: शक्तिधरः
शान्तस्य निर्विकारत्वात्
शिशुमारात्मना
• शिखिज्वालारूप:
शिवशक्त्यात्मकं
शी स्वप्
शीतोष्णसुखदुःखे
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि
99
ऋणु देवि महाज्ञान
शैवानामपि
श्रीचक्रे सिद्धयः
सौन्दर्यलहरी
पं.
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षड भिवादो
सध्यानयोगेन
षट्युत्तरं च त्रिशतं
षोडशकलानां
षोडशेन्दोः
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: कला
सकारश्चन्द्रबीज
28 15 स गुरुप्समः प्रोक्तः
138 19
सच्छिष्यायोपदेष्टव्या
138
2 14
280 12
संज्ञान विज्ञानं
5 स तदुचकुचौ
संहारन हरायत्तः
सकरीत्येव शृङ्गार
99
संभावनमथोत्प्रेक्षा
संवत्सरो वै प्रजापतिः
संचित्कामेश्वरः
ष
स तद्वाहारगमन्ता
सदाशिवेन संपृक्ता
""
सपर्यापर्यायः
स
समृद्धिमद्वस्तुवर्णनं
79 6 सम्यग्रज्ञानाधिगमः
123 18 स यदाह
.106 17
सयो ह वा एता
22 1 सर्वतोऽतिवर्थात्
277 1 सर्ववेदान्तप्रत्यय
CC-0. Jangamwadi Math Collection. Digitized by eGangotri
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