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३६४
 
परराडेत्यज्यामयी
परानन्दपरा शक्तिः
 
परोऽपि शक्तिरहितः
 
पश बन्धने
 
पाशाङ्कुशशरान्
पाशाशौ तदीयौ
 
पिण्डब्रह्माण्डयोमैक्य
 
पुत्रादौ वात्सल्य
 
पुत्रो निऋऋत्या
 
>>
 
पुरत्र्यं च चक्रस्य
पूर्वोक्तध्यानयोगेन
 
पृभयो नाम मुनयः
 
प्रजापतिर्लोककर्ता
प्रतिपच्प्रभृतौ
 
प्रतिपन्नाम विज्ञेया
 
प्रतिमुञ्चस्व स्वां पुरं
 
प्रस्तुतं विष्टुतं
प्रहरणादिभ्य उप
 
प्रागुक्तमूलाधारस्य
 

 
बलिदेव्य: स्वमाया:
 
बाह्यपूजा न कर्तव्या
 
बाह्यपूजारताः
 
बाह्यान्त:करणानां
 
बिन्दु संकल्प्य
बिन्दुत्रिकोणवसुकोण
 
सौन्दर्यलहरी
 
40 15
 
105 3
 
3 15
 
29 21
 
194 14
 
17 18
 
विन्दुश्चाष्टद
 
बिन्दुस्थानं सुधा
बिन्दौ तद्द्वक्तूमारोप्य
 
ब्रह्माण्डं भासंयन्तः
 
ब्रह्मणः पञ्चमशिरः
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु
 
124 11 ब्रुवः पञ्चानां
 
201 3
 
155
 
95
 
9
 
3 भद्रं कर्णेभिः
 
9
 
98
 
34
 
16
 
17 19
 
34 6
 
51 7
 
79 14
 
83 18
 
36 18
 
92 15
 
52
 
5
 
271 20
 
भवति भिक्षां देहि
 
भवतु प्रातिपदिक
भवर्ती त्वन्मयैरेव
 
भवानि श्रीहस्तैः
 
भीत्रार्थानां भयहेतुः
 
भुजङ्गाकाररूपेण
 
भूतेन्द्रियमनांस्येव
 
अवौ धनुः
 

 
मकरवक्त्रात् जातं मकरतं
मणिपूरैकवसतिः
मध्ये षष्टयुत्तरं
 
273 19
 
मनोज्योतिः
 
97
 
5 मन्ये शके ध्रुवं
 
97 7 मन्वनद्विदशा
 
285 22 मरीचयः स्वायम्भुवाः
 
59 21
 
30 10
 
माङ्गल्यतन्तुना
 
CC-0. Jangamwadi Math Collection. Digitized by eGangotri
 
21 22
 
16
 
13
 
60
 
3
 
327
 
51
 
160
 
40
 
8
 
142 7
 
2
 
34 19
 
174 10
 
174 11
 
285 17
 
122 1
 
160.4
 
24
 
9
 
278 6
 
132 16
 
187 20
 
112 16
 
50 21
 
274 15
130 19
 
32 5
 
37
 
1
 
49 14
 
157 20