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तस्यां हिरण्मयः
 
तस्येदं.
तामेवानुपविश्य
 
""
 
ताम्बूलमर्चना
 
तिथिरूपेण कालस्य
 
तिरस्करिण्यो जलदा:
 
ते ते देहं कल्पयन्तु
 
तेन वित्तश्चुच्चप्
तेनार्थवान् लोभ
सु
त्रिकोणमष्टकोणं च
 
"
 
त्रिकोणे बैन्दवं
 
200
 
त्रिखण्ड मातृका चक्रं
 
त्रिखण्डो मातृकामन्त्रः
त्रिपुरा परमा शक्तिः
लगसृङ्मांस
स्वगादिधातवः
 
स्वामस्मि वच्मि
 
दशर्धा भियते
 
दर्शनादृषि:
 
दर्शादृष्टादशैता
 

 
120
 
दर्शायाः पूर्णिमान्तास्थ्य
 
88 13,90
 
6,
 
अनुक्रमणिकाः
 
39
 
6
 
189 22
 
दिवा सूर्यस्तया रात्रौ
दृष्ट्या संक्षोभयेन्नारी
51 12 देवानां पूरयोध्या
 
50
 
15
 
द्विगो:
 
द्वितीयो मध्यमग्राम:
 
287 3
 
288 16 द्विरेखासङ्गमस्थानं
 
132 8
 
द्विविधा हि मध्यमा
 
37 9
 
10
 
161
 
192
 
8 धान्येन धनी
 
195 1
 
21
 
20
 
22
 
3
 
21 24
 
60
 
8
 
धारणापरिज्ञानाव
 
7, 287 14
 
88
 
6
 
25 12
 
34 10
 
82 6
106 19 नितान्तमर्थिनः
27 14 नित्यं निर्दोष गन्धं
 
28 11 नु पृच्छायां
174 19 नैतमृषिं विदित्वा
 

 
नमस्त्रिपुरसुन्दयें
नमो देव्यै महालक्ष्म्यै
 

 
नवधातुरयं देहः
नवव्यूहात्मको देहः
नाट्यश्चतुर्दश प्रोक्ताः
 
"
 
पदधिश्चरणोऽस्त्रियां
 
पद्मासनगतः स्वस्थः
 
198 4 पञ्चभूतात्मकं चैव
9 20 पञ्चभूतानि तन्मात्रं
 
88 11 पञ्चविंश आत्मा भवति
 

 
18.
 
CC-0. Jangamwadi Math Collection. Digitized by eGangotri
 
51 3
 
61 21
 
38 21
 
136 7-
159 3
 
32
 
1
 
103 6
 
271 12
 
199 9
 
176 14
 
176 11
 
27 16
 
105 1
 
279 12
 
192 9
 
282 14
 
35 6
 
96 19
 
50 7
 
28 9
 
20 13
 
29 17
 
26 1
 
24 14