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३६२
 
क्षणमुक्ताः कौला:
 
गजकुम्मे कर्बुराभः
 
गजकुम्भेषु वंशेषु
गतिबुद्धिप्रत्यव
 
97
 
गन्धद्वारी दुराधर्षा
 
गुणमुक्तवान्
गुरुराद्या भवेत्
 
गुरुरूपाय:
 
गुरुरेव परा शक्तिः
 
ग्रामः स्वरसमूहः
 

 
""
 
164 12 जपाकुसुमसंकाशी
164 10 ज्ञाता स्वात्मा भवेत्
10 16 ज्योतिर्वर्णांस्तु
.73 15 ज्योतिष्मद् भ्राजमानं
 
56 3
 

 
160 6
 
270 10
 
283 18, 288 14
 
चक्रं चन्द्रम
चतुरश्राद्यरेखाये
 
चतुर्भि: शिवचकैः
 
चतुष्पत्रान्ता:
 
चतुष्षष्टिश्च तंत्राणि
 
चत्वार ई बिति
 
"
 
चन्द्रकान्तशिला मूर्ति
 
चन्द्रज्ञानविद्या
 
चरणाय स्वाहा
 
सौन्दर्यलहरी
 
पं.
 
पु.
117 3
 

 
"₂
 
चित्रकिम्मीरकल्माष
 
जनको ह वैदेहः
 
णाविष्ठवत्
 
270 16 तं वो गृह्णाम्युत्तमं
 
270 17 तत्करोति
 
159
 
1 तत्र कामकलारूपां
 
34 12
 
277 18
 
3 11
 
20 21, 21 18
 
18
 
199 19
 
73 21
 
10
 
1 तन्मात्राः पुष्पसायकाः
 
10
 
5. तपस्वी पुण्यो भवति
 
61 23 तमेव भान्तमनुभाति
 
32 4
 
तवाधारस्वरूपाणि
 
26 5 तस्माच्छुद्र यज्ञे
26 11 तस्माद्रुद्रः पशूनां
 
165 1 तस्माद्वा एतस्मात्
 

 
तत्र चिन्तामणिकृतं
तत्रादौ प्रथमा निस्या
 
तन्त्रास्ते परमेशानी
 
तदिन्द्रधनुरित्यज्यं
 
तदुद्भूतामृत
 
तदेषाभ्युक्ता
 
तद्गुणः स्वगुण
तद्भासा रहितं
 
94
 
98
 
10
 
118
 
8
 
275 22
 
164 14
 
25 10
 
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18
 
61 8
 
114 11
 
61
 
8
 
59 23
 
16 15
 
79 8
 
16 19
 
113 13
 
16 21
 
114 1
 
152 14
 
50 17
 
281 7
 
34 20
 
51 12
 
22 7
 
42 17
 
195 2
 
108 21