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३५८
दग्धं यदा मदनं
ददातीष्टान् भोगान्
दाक्षायणीति कुटिलेति
दृष्ट्वा संभ्रमकारि
देवानां त्रितयं
देवि त्र्यंबकपनि
देवि त्वदंधिनख
देवि स्वां सकृदेव
देवि स्तुतिव्यतिकरे
द
ध्यातासि हेमवति
घ्यायन्ति ये क्षणमपि
नमामि यामिनीनाथ
निर्देवयानपितृयान
परानन्दाकारां
पिता माता भ्राता
पुरः पश्चादन्तः
पूर्णेन्दोः शकलैः
पृथ्वीभुजोऽप्युदय
प्रकाशानन्दाभ्यां
प्रलीने शब्दौषे
प्रविश्य त्वन्मार्ग
प्रियङ्गश्यामाझी
ध
न
प
सौन्दर्यलहरी
श्लो. पु.
7 304 बवतंसयुत
14 302 बोद्धव्या निपुर्ण
18
306
3 291
ब्रह्माण्डबुद्बुद
ब्रह्मेन्द्र रुद्र
16 293 धवन्त्येके तत्वं
2 300
10 296
भ
3 300
भुवि पयसि कृशानौ
2 295 भूमौ निवृत्तिरुदिता
भोगाय देवि भवतीं
17 297
5 300
21 303
28 308
मनुष्याः तिर्यञ्चः
मयूखा: पूष्णीव
महीपाथो वह्नि
मातर्मुहूर्तमपि
मातस्तथापि
माया कुण्डलिनी
मिथ: केशाकेशि
मुक्ताविभूषणवती
मुनीनां घेतोभिः
मूर्ध्नि स्फुरतहिन
मूर्तीन्दो: सित
मूलालवाल
19 312
27 313
30 313
9 301
-6-295
12 310
18 311
31 314 यः स्तोत्रमेतत्
14 311 यः स्फाटिकाक्षगुण
म
य
CC-0. Jangamwadi Math Collection. Digitized by eGangotri
श्लो. पु.
5
305
20
294
17
306
29 299
4 309
38 315
26 307
23 307
13 311
32 314
16 311
14 297
3
295
18 294
6 309
12 305
24 312
11 296
13 301
6 304
30 299
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दग्धं यदा मदनं
ददातीष्टान् भोगान्
दाक्षायणीति कुटिलेति
दृष्ट्वा संभ्रमकारि
देवानां त्रितयं
देवि त्र्यंबकपनि
देवि त्वदंधिनख
देवि स्वां सकृदेव
देवि स्तुतिव्यतिकरे
द
ध्यातासि हेमवति
घ्यायन्ति ये क्षणमपि
नमामि यामिनीनाथ
निर्देवयानपितृयान
परानन्दाकारां
पिता माता भ्राता
पुरः पश्चादन्तः
पूर्णेन्दोः शकलैः
पृथ्वीभुजोऽप्युदय
प्रकाशानन्दाभ्यां
प्रलीने शब्दौषे
प्रविश्य त्वन्मार्ग
प्रियङ्गश्यामाझी
ध
न
प
सौन्दर्यलहरी
श्लो. पु.
7 304 बवतंसयुत
14 302 बोद्धव्या निपुर्ण
18
306
3 291
ब्रह्माण्डबुद्बुद
ब्रह्मेन्द्र रुद्र
16 293 धवन्त्येके तत्वं
2 300
10 296
भ
3 300
भुवि पयसि कृशानौ
2 295 भूमौ निवृत्तिरुदिता
भोगाय देवि भवतीं
17 297
5 300
21 303
28 308
मनुष्याः तिर्यञ्चः
मयूखा: पूष्णीव
महीपाथो वह्नि
मातर्मुहूर्तमपि
मातस्तथापि
माया कुण्डलिनी
मिथ: केशाकेशि
मुक्ताविभूषणवती
मुनीनां घेतोभिः
मूर्ध्नि स्फुरतहिन
मूर्तीन्दो: सित
मूलालवाल
19 312
27 313
30 313
9 301
-6-295
12 310
18 311
31 314 यः स्तोत्रमेतत्
14 311 यः स्फाटिकाक्षगुण
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CC-0. Jangamwadi Math Collection. Digitized by eGangotri
श्लो. पु.
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4 309
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6 304
30 299
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