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देहो नवरत्नद्वीपः
द्वेषोऽङ्कशः
 
नवचक्ररूपं
 
नियतिः शृङ्गारादयः
निरुपाधिका विदेव
 
पञ्चदशतिथिरूपेण
 
पुरुषार्थाः सागराः
 
पृथिव्यप्तेजो
प्राणापानव्यानो
 
भावनाया: क्रियाः
भावनाविषयाणां
 

 
अजानन्तो यान्ति
 
अज्ञातसंभवं
 
अनायन्तामेद
 

 

 

 
सौन्दर्यलहरी
 

 
सूत्रं पु.
 
6 274 मन इक्षुधनु:
 
24 280
 
य एवं वेद
 
3 272
 
11 276 रसनया भाव्यमानाः
 
26 282
 
रागः पाश:
 
वचनादानगमन
 
33 287 वाराही पितृरूपा
 
5 273
 
13 277
 
16 278
 
शब्दादितन्मात्रा:
 
शीतोष्णसुखदुःख
 
श्रीगुरुः सर्वकारण
 

 

 
(३) पंचस्तवीश्लोकानां अकाराद्यनुक्रमणिका
 
श्लो. पु.
 
1 309 अम्ब स्तवेषु तव
 
8 304 अर्धेन किं नवलता
3 309 असंख्यैः प्राचीनैः
 

 

 
30 284 सङ्कल्पाः कल्पतरवः
32 286 सदानन्दपूर्णा
 
CC-0. Jangamwadi Math Collection. Digitized by eGangotri
 
22 280
 
36 289
 
9 274
 
23 280
 
14 278
 
4 273
 
21 280
 
20 280
 
1 270
 
8 274
 
27 282
 
श्लो. पु.
 
2 303
16 306
 
36
 
315