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शरज्जयोत्स्नाशुद्धां
 
शरीरं त्वं शम्भोः
 
शिवशक्ति: कामः
 
शिवश्शक्त्या युक्तः
 
शिवे शृङ्गारा
श्रुतीनां मूर्धानः
 
समुद्भूतस्थूल
 
समुन्मीलत्
 
सरस्वत्याः सूक्ती:
 
सम देवि स्कन्द
समानीतः पद्भ्यां (भां)
 

 
बाधारनवकं
 
एतद्वायुसंसर्ग
 

 
(२)
 
अनन्यचित्तत्वेन च
 
अलम्बुसा कुहू:
 
अव्यक्तमहंदहङ्काराः
 
अहं स्वमस्ति नास्ति
 

 

 
सौन्दर्यलहरी
 

 
श्लो. पु.
 
सरस्वत्या लक्ष्म्या
 
15
 
51
 
सवित्रीभिर्वाचां
 
34 100 सुधाधारासौरैः
 
32
 
81
 
सुधामप्यास्त्राद्य
 
1. 1
 
सुधासिन्धोर्मध्ये
 
51 137
 
स्थिरो गङ्गावर्तः
 
84 176 स्फुरद्गुण्डाभोग
स्मरं योनिं लक्ष्मीं
 
स्मितज्योत्स्नानालं
 
72 161 स्वदेद्दोद्भूतामिः
 
94 262
 
98 262
 
38 109
 
60 147 हिमानी हन्तव्यं
 
भावनोपनिषद्वाक्यानां अकाराद्यनुक्रमणिका
 
सूत्र पु.
 
एता दश वह्निकला:
29 283 एवं मुहूर्तत्रितयं
 
15 278
 
25 281
 
31 286
 
हरक्रोधज्वाला
 
हरिस्त्वामाराध्य
 
12 277
 
कादिमतेनान्तश्चक्र
 
क्षारक उद्गारको
 
ज्ञानमर्थ्य ज्ञेय
 

 
तेन नवरन्ध्र
 
17 279 स्वगादिसप्तधातु
 

 

 

 
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३५५
 
श्लो. पु.
 
99 193
 
17
 
10
 
28
 
8
 
54
 
22
 
70
 
15
 
78 168
 
59 146
 
33 98
 
63 150
 
30 71
 
76 166
 
5 9
 
87 180
 
सूत्रं पु.
 
19 279
 
34 289
 
35 289
 
18 279
 
10 275
 
2 270
 
7 274