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(१) सौन्दर्यलहरीश्लोकानां अकाराद्यनुक्रमणिका
 

 
अमू ते वक्षोजौ
 
अराल ते पाली
 
भराला केशेषु
 
मरालै: स्वाभाव्यात्
 
अविद्यानामन्तः
 
अविश्रान्तं पत्युः
 
• असौ नासावंशः
 
बहस्ते सव्यं
 
कदा काले मातः
 
कराग्रेण स्पृष्टं
 
करीन्द्राणां गुण्डान्
 
कलङ्क: कस्तूरी
 
कलत्रं वैधात्र
 
कवीनां सन्दर्भ
 

 
कवीन्द्राणां
 
किरन्ती मजेभ्यः
 
किरीटं वैरिज
 
कुचौ सद्यस्स्विद्यत्
 
क्यणकाजीदामा
 
क्षितौ षट्पञ्चाशद
 
गतास्ते मञ्यत्वं
 
गते कर्णास्वर्ण
 
श्लो. पु.
 
73 162
 
58 145
 
93 186
 
45 128
 

 
36
 
64 151
 
61 148
 
48 133
 
98 191
 
67 155
 
82 173
 
94 187
 
96 189
 
तटिस्वन्तं
 
50 135 तटिल्लेखा
 
16
 
52
 
तनुच्छायाभिः
 
20 60 तनीयांसं पांसु
29 70 तनोतु क्षेमं
 
80 170 तव स्तन्यं मन्ये
 
तव स्वाधिष्ठाने
 
46 तवाज्ञा चक्रस्थं
 
तवाधारे मूले
 
तवापर्णे कर्णे
 
त्रयाणां देवानां
 
52 138 स्वदन्यः पाणिभ्यां
 
CC-0. Jangamwadi Math Collection. Digitized by eGangotri
 
7 14
 
14
 
गतैमाणिक्यत्वं
 
गले रेखास्तिस्रः
 
गिरामाहुदेवीं
 
गुरुत्वं विस्तारं
 
90
 
92 185
 
चतुर्भिः श्रीकण्ठैः
 
चतुष्षष्ट्या
 
जगत्ते
 
जपो जल्पः
 

 

 

 
लो. पु.
 
42 124
 
69 157
 
97 190
 
81 171
 
11 26
 
31 72
 
24 65
 
27
 
68
 
40 112
 
21
 
62
 
18 57
 
2
 
4
 
44 127
 
75 165
 
39 111
 
36 107
 
41 115
 
56 143
 
25
 
66
 
4 8
 
23