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रामरक्षास्तोत्रम्
 
१५
 
कवितामयी डालीपर बैठकर मधुर अक्षरोंवाले राम-
राम इस मधुर नामको कूजते हुए वाल्मीकिरूप कोकिलकी
मैं वन्दना करता हूँ ॥ ३४ ॥
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥
आपत्तियोंको हरनेवाले तथा सब प्रकारकी सम्पत्ति
प्रदान करनेवाले लोकाभिराम भगवान् रामको मैं बार बार
नमस्कार करता हूँ ॥ ३५ ॥
 
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥
'राम-राम' ऐसा घोष करना सम्पूर्ण संसारबीजोंको
भून डालनेवाला, समस्त सुख-सम्पत्तिकी प्राप्ति करानेवाला
तथा यमदूतोंको भयभीत करनेवाला है ॥ ३६ ॥
रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे
 
रामेणाभिहता निशाचरचम् रामाय तस्मै नमः
 
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