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रामरक्षास्तोत्रम्
 

 
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कवितामयी डालीपर बैठकर मधुर अक्षरोंवाले राम-

राम इस मधुर नामको कूजते हुए वाल्मीकिरूप कोकिलकी

मैं वन्दना करता हूँ ॥ ३४ ॥

 
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।

लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥

 
आपत्तियोंको हरनेवाले तथा सब प्रकारकी सम्पत्ति

प्रदान करनेवाले लोकाभिराम भगवान् रामको मैं बार बार

नमस्कार करता हूँ ॥ ३५ ॥
 

 
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम् ।

तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥

 
'राम-राम' ऐसा घोष करना सम्पूर्ण संसारबीजोंको

भून डालनेवाला, समस्त सुख-सम्पत्तिकी प्राप्ति करानेवाला

तथा यमदूतोंको भयभीत करनेवाला है ॥ ३६ ॥

 
रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे
 

रामेणाभिहता निशाचरचम्मू रामाय तस्मै नमः
 

 
 
CC-0. Murukshu Bhawan Varanasi Colection, Dighitized by eGangotr
 
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