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रामरक्षास्तोत्रम्
 
आदिष्टवान्यथा
 
स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान्प्रातः प्रवुद्धो बुधकौशिकः ॥१५॥
श्रीशंकरने रात्रिके समय स्वप्न में इस रामरक्षाका
जिस प्रकार आदेश दिया था, उसी प्रकार प्रातःकाल
जागनेपर बुधकौशिकने इसे लिख दिया ॥ १५ ॥
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान्स नः प्रभुः॥१६॥
जो मानो कल्पवृक्षों के बगीचे हैं तथा समस्त आपत्तियों-
का अन्त करनेवाले हैं, जो तीनों लोकोंमें परम सुन्दर हैं,
वे श्रीमान् राम हमारे प्रभु हैं ॥ १६ ॥
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महावलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥
शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥१९॥
 
CC-0. Mumukshu Bhawan Varanasi Collection. Digitized by eGangotr