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८ रामरक्षास्तोत्रम्
 
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<verse text="A" n="15">
आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।

तथा लिखितवान्प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥१५॥
 
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<p text="B" n="15">
श्रीशंकरने रात्रिके समय स्वप्न में इस रामरक्षाका

जिस प्रकार आदेश दिया था, उसी प्रकार प्रातःकाल

जागनेपर बुधकौशिकने इसे लिख दिया ॥ १५ ॥
 
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<verse text="A" n="16">
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम् ।

अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान्स नः प्रभुः॥१६॥
 
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<p text="B" n="16">
जो मानो कल्पवृक्षों के बगीचे हैं तथा समस्त आपत्तियों-

का अन्त करनेवाले हैं, जो तीनों लोकोंमें परम सुन्दर हैं,

वे श्रीमान् राम हमारे प्रभु हैं ॥ १६ ॥
 
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<verse text="A" n="17">
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।

पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥
 
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<verse text="A" n="18">
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।

पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥
 
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<verse text="A" n="19">
शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।

रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥१९॥
 
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CC-0. Mumukshu Bhawan Varanasi Collection. Digitized by eGangotr
 
 
 
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