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श्रीमेरुतुङ्गाचार्यविरचित
प्रबन्धचिन्तामणि
विविधपाठान्तरयुन मुलग्रन्थः तम्मम्बद्ध अनेक पुरातनप्रबन्ध; शिलालेख, ताम्रपत्र, अन्धप्रशस्ति,
तथा ग्रन्थान्तरस्थ विविधप्रमाण; हिन्दीभाषान्तर; तत्कालीन ऐतिहामिक, भौगोलिक,
राजकीय, सामाजिक, धार्मिक आदि परिस्थिति विवेचक विस्तृत
प्रस्तावना - इत्यादि बहुविध विषयसमन्त्रिन
विक्रमाब्द १९८९ }
सम्पादक
जिनविजय मुनि
जैन वाङ्मयाध्यापक, विश्वभारती.
शान्ति निकेतन
प्रथम भाग
विविधपाठान्तर-परिशिष्ट-पद्यानुक्रमादियुक्त मूलग्रन्थ
प्रकाशक
अधिष्ठाता, सिंघी जैन ज्ञानपीठ.
शान्तिनिकेतन, बंगाल.
प्रथमावृत्ति, एक सहस्र प्रति.
[ १९३३ क्रिष्टाब्द
प्रबन्धचिन्तामणि
विविधपाठान्तरयुन मुलग्रन्थः तम्मम्बद्ध अनेक पुरातनप्रबन्ध; शिलालेख, ताम्रपत्र, अन्धप्रशस्ति,
तथा ग्रन्थान्तरस्थ विविधप्रमाण; हिन्दीभाषान्तर; तत्कालीन ऐतिहामिक, भौगोलिक,
राजकीय, सामाजिक, धार्मिक आदि परिस्थिति विवेचक विस्तृत
प्रस्तावना - इत्यादि बहुविध विषयसमन्त्रिन
विक्रमाब्द १९८९ }
सम्पादक
जिनविजय मुनि
जैन वाङ्मयाध्यापक, विश्वभारती.
शान्ति निकेतन
प्रथम भाग
विविधपाठान्तर-परिशिष्ट-पद्यानुक्रमादियुक्त मूलग्रन्थ
प्रकाशक
अधिष्ठाता, सिंघी जैन ज्ञानपीठ.
शान्तिनिकेतन, बंगाल.
प्रथमावृत्ति, एक सहस्र प्रति.
[ १९३३ क्रिष्टाब्द