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१३४
 
यशःपुखो मुञ्जो गजपति●
यशोवीर यशोमुक्ता ●
यशोवीर ! लिखत्याख्यां
यस्य पौषधशालासु●
यस्थान्तर्गिरिशागार ०
यः पञ्चग्रामसङ्ग्राम०
यान् लिङ्गिनोऽनुवन्दन्ते
यासौ दक्षिणदक्षिणार्णववधू०
यूकालक्षशतावली वलवल●
 
यूपं कृत्वा पशून हत्वा०
येन पौषधशालास्ता: •
येन विश्वकवीरेण
येषां वल्लभया सह क्षणमिव
योष्माकाधिपसन्धिविग्रहपदे ●
 
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रागाद् भूपालबल्लाल ●
राजन् मुञ्जकुलप्रदीप ●
 

 
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रजकवधूवचनमिदं ●
रजोभिः समरोद्धूतै●
 
रत्नाकर इव क्षार ०
रम्भासम्भावितैर्यस्य
रसातलं यातु यदत्र पौरुष ०
 
राजप्रतिग्रहदग्धानां०
 
राज्यं यातु श्रियो यान्तु●
 
O
 
राज्यं यातु स्त्रियो यान्तु ०
राणा सवे वाणिया
रात्रौ जानुर्दिवा भानुः ०
रुलीयउ रायह राजु●
रे रे यत्रक मा रोदीः •
 
लक्षं लक्षं पुनर्लक्षं●
लक्ष्मीर्यत्र न वाक् तत्र ०
लक्ष्मीर्यास्यति गोविन्दे०
लक्ष्मीचला शिवा चण्डी०
लङ्का शङ्कावती चम्पा०
 
४२,
 
२२०,
 
२२२,
 
[१६१]
 
१४३,
 
२३१,
 
२१५
 
[३]
 
२००,
 
७७,
 
७१,
 

 
९२
 
९३,
 
३८
 
[१६०] १००
 
[११८]
 
७६
 
३३
 
३१
 
[४]
 
[१२१]
 
२१४,
 
[१५२]
 
९०
 
[१३५]
 
१८५,
 
१६९,
 
[२]
 
१४९,
 
[३१]
 
[४१]
 
प्रबन्धचिन्तामणेः
 
२५
 
१०२
 
१०२
 
१००
 
६३
 
१०४
 
२३०,
 
[८]
 

 
७६
 
१०१
 
९९
 
३७
 
९५
 
२८
 
८२
 
७४
 
६५
 
२९
 
२२
 
२४
 
२६
 
५०,
[१६६] १०२
 
२५
 
१०४
 
१३
 
लच्छिवाणि मुहकाणि सा०
 
लब्धलक्षा विपक्षेषु●
 
लाटेश्वरस्य सैनान्यं ०
 
लिङ्गं जिणपन्चत्तं एव
 
लिङ्गोपजीविनां लोके ●
 
लोकः पृच्छति मे वार्ता ●
 
लोकत्रयोल्लसत्कीर्ति: ०
 

 
वक्त्राम्भोजे सरस्वत्यधिवसति
 
वक्षो विक्षिप्य वैपक्षं ०
 
वचनं धनपालस्य ●
 
वधो धर्मो जलं तीर्थ ०
 
वन्यो हस्ती स्फटिकघटिते●
 
वरं भट्टर्भाव्यं वरमपि ०
वर्षासु यस्तिष्ठति •
 
वल्लीच्छन्नद्रुम इव०
 
वस्तुपाल-यशोवीरौ •
 
वस्त्रप्रतिष्ठाचार्याय ०
 
वादविद्यावतोऽद्यापि●
 
वाढी तउं वढवाण●
 
वासो जडाण मज्झे •
 
विद्धा विद्धा शिलेयं●
 
विना कर्णेन तेन स्त्री
 
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विनास्योत्तमाङ्गं वृथा •
 
विप्रे ग्राहरिके नृपो०
 
विरल विरलीभूतास्ताराः०
 
विरोधिवनिता चित्त: ०
 
विवाहयित्वा यः कन्यां०
 
विश्वामित्रपराशरप्रभृतयो०
 
विहाय शरधिं वेगात्●
विहारं कुर्वता वैरि०
वीतरागरतेर्यस्य •
वीराणां पाणिपादाब्जै: •
 
वेलामहल्लकल्लोल ●
 
वेसा छंडी वढायती ●
 
O
 
२०२,
 
[९८]
 
[१६]
 
२१९,
 
२१७,
 
११३,
 
[२१]
 
५४,
 
[१७१]
 
[७४]
 
[६०]
 
३,
 
२१०,
 
२६८,
 
१६७,
 
[१६७]
 
१६१,
 
१६४,
 
१५२,
 
२४२,
 
१२१,
 
[८६]
 
[६१]
 
[७९]
 
[१९]
 
२६०,
 
१८२,
 
[१७०]
 
[१३७]
 
[१३०]
 
[१७३]
 
११७
 
[३९]
 
९२
 
६३
 
१६
 
१८१
 
१८१
 
४६
 
२०
 
२७
 
१०२
 
४२
 
३८
 

 
९७
 
१२२
 
७०
 
१०२
 
६९
 
६५
 
११२
 
४९
 
३८
 

 
४३
 
१९
 
११८
 
८२
 
१०२
 
९५
 
९५
 
१०२
 
४७
 
२४