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१३२
 
त्वयि जीवति जीवन्ति
 
O
 
त्वं चेत् सञ्चरसे वृषेण लघुना०
 

 
दक्षिणक्षितिपं जित्वा •
 
दण्डे मण्डपिका हैमी ०
दरिद्वान् सृजतो धातु:०
दर्शयन् सुमनोभावं●
दानं प्रियवाक्सहितं●
दानं भोगो नाशस्तिस्रो०
 
[१४२]
 
[१७]
 
दानं वित्ताद् ऋतं वाच:०
दानानि ददतो नित्यं●
दानोपहतदारिद्र्यं●
दारिद्र्यानलसन्ताप: ●
दासिहि नेह न होड़०
दिग्वासा यदि तत्किमस्य
 
८१,
 
[३८]
 
[६३]
 
दुर्वादिगर्व गजनिदर्लनाङ्कुश श्री० [१०५]
 
[८३]
 
[३०]
 
[५१]
 
७६,
 
दुर्वा: श्यामलयन्ति सन्तत:
देव अम्हारी सीष ०
 
देव त्वं जय कासि लुब्धक
देव दीपोत्सवे जाते.
 
देव श्रीगिरिदुर्गमल्ल भवतो ०
 
देवादेशय किं करोमि सहसा ०
 
देवे दिग्विजयोद्यते धृतधनु:०
देशाधीशो ग्राममेकं ददाति
दो मुह निरक्खर लोह ०
द्रुतमुन्मूलिते तत्र
द्वाभ्यां यन्न हरिस्त्रिमिर्न च
द्विषां शीर्षाणि लूनानि ०
 

 
२५३,
 
२४४,
 
धर्मच्छद्मप्रयोगेण ●
 
धर्मलाभ इति प्रोक्ते
धाई धौअइ पाय●
धारयित्वा त्वयात्मानं ०
 
धाराधीश धरामहीशगणने●
 
धाराभङ्गप्रसंगेन ●
 
[१३६]
 
[१४०]
 
२५४,
 
[१५४]
 
२२९,
 
२६४,
 
[९७]
 
१५३,
 
९९,
 
[५६]
 
१०२,
 
[१४६]
 
[६४]
 
[१११]
 
२२८,
 
१३४,
 
[६९]
 
[११२]
 
प्रबन्धचिन्तामणेः
 
११५
 
११२
 
९५
 
न केवलं महीपाला : ०
 
नमस्तिष्ठति धूलिधूसरवपु●
नमैर्निरुद्धा युवतीजनस्य
नम्नो यत्प्रतिभाषर्मात्●
नयुत्तारेऽध्ववैषम्ये •
न मिक्षा दुर्भिक्षे पतति ०
 
२०६,
 
८२,
 
न माघः श्लाघ्यते कैचित्
 
१६३,
 
न मानसे माद्यति मानसं मे०
 
१४४,
 
१६न यन्मुक्तं पूर्वे रघुनहुषनाभाग० १८९,
 
३५ न सा सभा यत्र न सन्ति वृद्धा० १२९,
 
११५
 
९९
 
१०४
 
१२१
 
२७
 
९६
 
२४
 
३९
 
५०
 
२२
 
२९
 
३२
 
६३
 
६६
 
४०
 
३७
 
४१
 
९७
 
३९
 
७६
 
१०३
 
२९
 
घिगू रोहणं गिरिं दीन ●
धृतपार्थिवनेपथ्ये ●
 
७६
 
नाभेरथो स वृषभो०
 
नारीणां विदधाति निर्वृतिपदं०
 
नाहं स्वर्गफलोपभोगतृषितो०
 
निजकर निकरसमृद्ध्या
 
नियउयरपूरणम्मि य
 
नृपव्यापारपापेभ्यः०
 
O
 
पञ्चाशत् पञ्च वर्षाणि •
पञ्चाशदादौ किल●
 
पञ्चाशद्धस्तमाने शिवभवनयुगे०
 
पढमो नेहाहारो●
 
पणसयरी वाससयं●
 
४५,
 
६७,
 
२३६,
 
नेव सयं तं पुजइ
 
[७३]
 
O
 
नैवाकृतिः फलति नैव कुलं न शीलं १७०,
 

 
पयःप्रदानसामर्थ्याद्
 
परपत्थणापवनं ●
परिओससुन्दराई●
 
पर्जन्य इव भूतानाम०
 
पाणिग्रहे पुलकितं●
 
पाणिपङ्कजवर्तिन्या०
 
पातु वो हेमगोपाल: ●
पादल मैर्महीपालै: •
 
२,
 
[१४३]
 

 
[१२९]
 
२४९,
 
१५६,
 
१४१,
 
१६०,
 
९२,
 
३४,
 
१४०,
 
१२४,
 
२४१,
 
[५८]
 
१३,
 
१९४,
 
९७,
 
[२०]
 
१९५,
 
[१३८]
 

 
९६
 
११३
 
६७
 
६९
 
३५
 
१०२
 
६३
 
५३
 
દૂર
 
६८
 
३८
 
२६
 
३०
 
१०५
 
४२
 
२२
 
६२
 
५२
 
११
 
१०९
 
३८
 
३०
 
११
 
८८
 
४०
 
१९
 
८९
 
९५