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४६
 
ग्रन्थसंख्या.
 
४९
 
५०
 
५१
 
५२
 
५४
 
५७
 
५९
 
६०
 
६७
 
६८
 
६९
 
७०
 
७१
 
७२
 
प० च०
 
प० मा०
 
पाणि
 
ग्रन्थप्रतीकः (ग्रन्थ-
चिह्नम्)
 
पात० सू०
पु० चि०
 
प्र० च०
 
६१
 
भवा
 
६२
 
भाग ०
 
६३ भार०
 
६४
 
६५
 
प्रथमा ०
 
प्र० प०
 
प्र० प्र०
 
प्रशस्त •
 
बृह०
 
ब्रह्मसू०
 
भा० पू०
 
मङ्गल●
 
मध्व० भा०
 
मनु०
 
1
 
मु०
 
वि०
 
म० प्र०
 
मिता•
 
मीमां ० कौ०
 
मू० म०
 
येभ्यो ग्रन्थेभ्यः शब्दान् गृहीत्वाऽयं न्यायकोशो ध्यरचि
 
एतच्चिदानामर्थः (प्रन्थनाम)
 
पदार्थचन्द्रिका ( सप्तपदार्थीटीका)
पदार्थमाला
पाणिनीयाष्टाध्यायी
पतञ्जलयोगदर्शनम्
पुरुषार्थचिन्तामणिः
प्रमाणचन्द्रिका वेदेश तीर्थीसहिता
प्रथमान्तार्थमुख्य विशेष्यकबोधविचारः
 
प्रमाणपद्धतिः
 
प्रमाणादिपदार्थप्रकाशिका
 
कणादसूत्रभाष्यम्
 
विषयः-
(न्याय.) गोतममतानुसारी
(वैशे.) कणादमतानुसारी,
मिश्रम्) उभयमत मिश्रम्
 
वैशे०
वैशे०
 
मङ्गलवादः
 
ब्रह्मसूत्राणां मध्वभाष्यम्
 
मनुस्मृतिः
 
व्याकरणम्
 
योगमतम्
 
धर्मशास्त्रम्
 
वेदान्तः
 
मिश्रम्
 
वेदान्तः
 
न्याय ०
 
वैशे०
 
बृहदारण्यकोपनिषत् शुक्लयजुः - ब्राह्मणम् वेदान्तः
 
ब्रह्मसूत्रम्
 
वेदान्तः
 
भवानन्दी ( दीधितिव्याख्या)
 
श्रीमद्भागवतम्
महाभारणम्
भाषापरिच्छेदः
 
मिश्रम्
ज्ञान-भक्ति-वैराग्यम्
वेदार्थविषयः
मिश्रम्
 
मिश्रम्
 
वेदान्तः
 
धर्मशास्त्रम्
 
न्यायसिद्धान्तमञ्जरीप्रकाशः
 
मिश्रम्
 
मीमांसा
 
मिताक्षरा ( याज्ञवल्क्यस्मृतिव्याख्या ) धर्मशास्त्रम्
मीमांसार्थसंग्रह कौमुदी
न्याय सिद्धान्तमुक्तावली
मूलमथुरानाथी (तत्त्वचिन्तामणि-
व्याख्या )
 
मिश्रम्
 
मिश्रम्