2023-02-24 08:21:26 by Hitu_css
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भोलेनाथ भगवान शंकर की छटा अलौकिक है
अपने स्वरूप में ही नटवत् नानारूप धारण किये हुए हैं, एवं चिदम्बर
नाम के स्थान में नटराज के रूप में स्थित हैं। संत पुरुष उन्हीं का
पूजन कर उन्हें ही प्राप्त होते हैं। वे नटराज भगवान ताण्डवनृत्य में
अपना एक पैर ऊपर उठाये और टेढा किये नृत्य कर रहे है जिस पर
पहने हुए कटक भी झन-झन करते हुए नाच रहे हैं। वे मुझ पतञ्जलि
(ऋषि) की और अञ्जलिबद्ध भक्त जनों की ज्ञानदृष्टि को स्वच्छ करने
वाला अञ्जन हैं, अथ च निरञ्जन हैं। उनका पद (धाम) अविचल है
(नृत्य में पद पैर भले चंचल हो) वे जन्मसंसार भञ्जनकारी हैं
कदम्ब के समान उन्नत एवं शोभायुक्त हैं। स्वयं आकाश में स्थित हैं
।
मेघमाला के समान उनका कण्ठ श्यामल है
देदीप्यमान मणि हैं
वाला सूर्य हैं। उन चिदम्बरस्थ नटराज शंकरभगवान का हृदय में हम
भजन करते हैं
I heartily resort to the great dancer Shiva. residing in
the holy place, Chidambaram. He is called Hara (the
Destroyer) who smashed the three cities of (of demon
Tripura). He is worshipped by good people. While
dancing he has lifted one foot which is bent. His lovely
bracelets are set in motion because of dance-movements
and, hence, are making a jingling sound. He is like
ointment to the eyes of Patanjali by whose application the
vision gets clear for receiving knowledge. However, he is
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