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पुटम् पङ्क्तिः
 
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२४
 
शुद्धिपट्टिका
 
अशुद्धम्
 
श्री नीलण्ठ
 
प्रथामा
 
व्यजय
 
कि
 
sp
 
ब्रूयां किं
अपृथविसद्ध
 
वाधित
 
प्रयुञ्ज्ञान:
 
सारस्यतीष्टि
 
निष्टिद्धं न बारयति
 
सुष्टुप्रयुक्त:
 
शास्त्रान्वित
पुरुषार्थ...तत्वम्
 
वहवो
 
आविर्वभूव 32
 
समञ्जसिमि
 
राज्य
 
मङ्गल
 
द्रढयत्
 
पुरणाभ्यां युक्तोक्तया
 
दर्शयामासि
 
मन्मथस्प
 
बलाद्वलात्कार
 
कुर्वित्यशयः
 
शवयं'
 
२३.
 
Last line सामञ्जरय
 

 
गाधा
 
११
 
१५
 
श्रीनीलकण्ठ
 
प्रथमा
 
नास्तीत्याह
 
सिप्सयोः
 
कविकुलो
 
ल्युभिन्यथ
 
व्यजय
 
कि
 
ब्रूयां कि
अपृथक्सिद्ध
बाधित
 
प्रयुञ्जानः
 
सारस्वतेष्टि
 
निषिद्ध न वारयति
 
सुष्ठु प्रयुक्तः
 
शास्त्रान्वित
 
पुरुषार्थ...तत्वम्
 
बहवो
 
आविर्बभूव
 
समञ्जसमि
 
राज्य
 
द्रढयन्
 
पुराणाभ्यां... युफोक्त्या
दर्शयामास
 
मन्मथस्य
 
कृच्छ्रेण
 
आवात्स्यायनन्त्रम् । श्रुर्तीनां ...यायनतन्त्रम् । श्रुतीनां
 
सामञ्जस्य
 
गाथा (पा.)
 
नास्तीत्याह
 
लिप्सयोः
 
कविकुले
 
ल्युणिन्मनः
 
बलाद्वलात्कार
 
कुर्वित्याशयः
 
शक्यं