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व्याख्यातमन्थसूची
 
४०३
 
१३.५, १५९, १६१, १६२, सारसंग्रह - (दीपिका) २४३३१८,
१६४, १६५, १६.८, १.६९, सुधा ३०१
 
१७९७१८३, १९०, १९३, सूतसंहिता १०२, १२४, २०७
१९६२१४ २४६, २९२, सौन्दर्यलहरी १७०, २८२.
२९३, २९५, २९६, २९७, स्कान्दम् २८५, २९५, ३००
०२२९९, ३१२, ३१५, ३२०,
 
३१३.
 
। स्मरणम् २१७
 
स्मृति: ६, ३८, ७०, ७६, ९५,
१४२, १४४, १५५, १६२,
१६९, १७१, २३७.
 
2:
 

 
३३४३०५९,६३७१, ३८६.
 
श्रुतिभाष्यम् १९९०)
श्रुतिवाक्यम् १९३९-४-३)
 
संख्या सिसन्ध्यावन्द्र
नप्रकरणम् २९१
सांख्यसूत्रम् २९६-;-...
 
६; (४:५९- ं विबुधानन्दव्याख्योपात्तसूत्रधार्तिकसूची
 
२२, ३१
 
२५ अर्शआदिभ्यः (५-२-१२७) ८४,
 
१४२, २१९, ३१४
 
अवसमन्धेभ्यः (५-४-७९) ३०४
 
अकस्सुवर्णे दीर्घः(६-१-१०१) २९७ अरुर्द्विषद जन्तस्य (६-३-६७)
अकारान्तोत्तरपदो द्विगुः स्त्रियाम्
(वा २-४-१७)
अनोख्यायामुरसः (५-४-९३) ४४
अचतुरविचतुर..७ (५-४-७७)२९४
अचित्तहस्ति-- (४-२-१३७) ८५ अव्ययं विभक्ति.. (२-१-६) ८६,३६१
अजाग्रतष्टाप् (४-१-४) २२५,३३४ अस्मदो द्वयोश्च (१-२-५९) १४१
अज्झनगमां सनि (६-४=१६) १७२ अस्मायामेघा - (५-२-१२१) २७४
(४-१९९५) ३३३ आख्यानाख्यायिकेतिहास
अत इन्टिनौ (५-३-११५) १५७
अत एकहल्मध्ये (६-४-१२०)३५४
अधिशी थासां कर्म (१-४-४६)
७००८५,९१,९-२९, १३६,२९१,
अनुकम्पायाम् (५-३-७६) २.१.४
अस्वार्थऩद्योः (७-३=१.०७)१७३ आपञ्चैव हलन्तानां ( पदमञ्जरी
अरण्याद् बुलू - (४-२-१२९) ६३ ६-२-७) २२
 
अत इज़ू.
 
84
 
(वा. ४-२-६०) १६०
आङ् मर्यादाभिविध्योः (२-१-१ ३)
 
७, १८२, २०१, २५३
 
1
 
आतोऽनुपसर्गे क: (३-२-३ )
आन्महत (६-३-४६) २८३