2023-08-10 10:31:08 by Bharadwajraki
This page has been fully proofread once and needs a second look.
नीलकण्ठ विजये व्याख्याने
समेता गर्जन्तरसपदि
तदानीं च ।
**jraz M
1
[^१]निष्पतद्द्रुममुत्पतत्खगमद्भुतस्खलदश्मभू-
जर्झर
गर्भग
क
क्रन्ददन्तरकन्दरं किल मन्दरं ददृशुर्जनाः ॥ ४२ ॥
-₁
[commentary]
वृ
प्
SAS E
Se
4
[^१
ji