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EL
ई
ॐ
dur
ई
उदेतोः
होत
प्रलेपिते मूलच्छेद्ये अथवा स्कन्धे रोपणीये
ई , घा० (अयति) गतौ 8. (एति) वृक्षे ७०७,७०w5(www$8).
वी पश्य '३' ॥
३ कान्तिमती ३२, ई० सी० अप्सरोभेदे
प ఒక అప్సరస.
उकामिका,
आ०सी० तकारे .
ड
उढङ्कितम् ७४४, अ०न० उल्लेखे का (क)रिणी (5) 88, 2.
(5)88, 2.
(). [5905(√494. ?किन्नरा ९२२०, आ०सी० वीणभेदे ९३२४,
३३, अ० त्रि० उद्भाविते āg.
ఒక వాద్యము.
०
3
उत्पादित;
उद् , अव्य० आश्चर्ये ७४२०९२७; कि(क)मर: $(5)3g58, 2.
; ब्रह्मणि (०.
? कीली 85, ई०सी० तालौ
अभावे
, अव्य ०. उद्भूय २७.
उपतदम् ३४८, अव्य० तस्य समीपे
इत्यर्थे (२).
उपधा, अव्य भेदे ...
o
ए 5
एवं , अव्य० अनवतौ ७२०८२३.
क 8
कम् , अव्य० निन्दायाम् २००.
कपि (वि) ल: 53 (२)०s, 2.
कर्ण: 55, अ०पु० उकारे .
खान्तः ०२:
ॐ
कु(कू.)वर: 50 (50) 68, 2. [...
उल्लीढः , अ॰त्रि० शाणिते २०३३७ कुशिका ७४, आ०सी० वनगोधूमे ७०२
బడినది.
कूपत् ॐ
उ (ऊ) षरम् 4 (4) 28, 2.
(a)
२७.
कुन्ती 5, ई०सी० पृथायाम् ०७२३.
कुन्थनम् ०२, अन० कुथि पश्य 'ॐ'
ॐ ॥
[cweb.
कललम् ४०(४७, अ०न० सप्तमगृहे २०
कला (काल) टीन: ३० (v)&$4, 2.
कवचम् 5, अ०न० हुमितिवर्ण ४००.
कस्तूरीमृगः, अ०० गन्धमृगे
৯)()
अव्य० अनन्तरमित्यर्थे
9
कूर्चम् ००४), अ० न० हूमितिवर्णे ५०.
, अ० त्रि० समाप्तकार्ये
कृतकृत्यः
కర్తవ్యమును నెఱవేర్చినవాఁడు.
कृस (किश) रा 5 ) ३ (३४)°, 2.
कुतः
केन्दरम् ३२०, अन तण्डुलीये/-
केविका ईश्ड, भृङ्गार्याम्.…/.
कोङ्क (ङ्को) णः - (+), 2.
*)
कर्षः (करिषः) 508 (598), 2.
क्रिया (505, लकारे ७.
[సంవత్సరము.
कर्णवालः 50०, अ० पु० खगभेदे ४३३. क्रोध: (5°४, अ० पु० क्रोधिसंवत्सरे (58
कर्दमः ४४, अ०पु० श्रीपुत्रे ऋषिविशेषे क्रोधीश: (55४, अ०पु० ककारे 5.
శ్రీపుత్రుఁడు, ఒక ఋషి.
, अत्रि० समर्थे .
(4) ख
35
खट्टु ( डु) का 30 (0) ड, आ० सी० खडौं
''
खरू (खुर)लिका
खलूरिकायाम्
- (405) 0ड, आ०सी०
१०
काण्डरोप्यः , अ० पु० गोमयेन खान्तः , अ०० गकारे .
ई
ॐ
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उदेतोः
होत
प्रलेपिते मूलच्छेद्ये अथवा स्कन्धे रोपणीये
ई , घा० (अयति) गतौ 8. (एति) वृक्षे ७०७,७०w5(www$8).
वी पश्य '३' ॥
३ कान्तिमती ३२, ई० सी० अप्सरोभेदे
प ఒక అప్సరస.
उकामिका,
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उढङ्कितम् ७४४, अ०न० उल्लेखे का (क)रिणी (5) 88, 2.
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३३, अ० त्रि० उद्भाविते āg.
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उद् , अव्य० आश्चर्ये ७४२०९२७; कि(क)मर: $(5)3g58, 2.
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? कीली 85, ई०सी० तालौ
अभावे
, अव्य ०. उद्भूय २७.
उपतदम् ३४८, अव्य० तस्य समीपे
इत्यर्थे (२).
उपधा, अव्य भेदे ...
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एवं , अव्य० अनवतौ ७२०८२३.
क 8
कम् , अव्य० निन्दायाम् २००.
कपि (वि) ल: 53 (२)०s, 2.
कर्ण: 55, अ०पु० उकारे .
खान्तः ०२:
ॐ
कु(कू.)वर: 50 (50) 68, 2. [...
उल्लीढः , अ॰त्रि० शाणिते २०३३७ कुशिका ७४, आ०सी० वनगोधूमे ७०२
బడినది.
कूपत् ॐ
उ (ऊ) षरम् 4 (4) 28, 2.
(a)
२७.
कुन्ती 5, ई०सी० पृथायाम् ०७२३.
कुन्थनम् ०२, अन० कुथि पश्य 'ॐ'
ॐ ॥
[cweb.
कललम् ४०(४७, अ०न० सप्तमगृहे २०
कला (काल) टीन: ३० (v)&$4, 2.
कवचम् 5, अ०न० हुमितिवर्ण ४००.
कस्तूरीमृगः, अ०० गन्धमृगे
৯)()
अव्य० अनन्तरमित्यर्थे
9
कूर्चम् ००४), अ० न० हूमितिवर्णे ५०.
, अ० त्रि० समाप्तकार्ये
कृतकृत्यः
కర్తవ్యమును నెఱవేర్చినవాఁడు.
कृस (किश) रा 5 ) ३ (३४)°, 2.
कुतः
केन्दरम् ३२०, अन तण्डुलीये/-
केविका ईश्ड, भृङ्गार्याम्.…/.
कोङ्क (ङ्को) णः - (+), 2.
*)
कर्षः (करिषः) 508 (598), 2.
क्रिया (505, लकारे ७.
[సంవత్సరము.
कर्णवालः 50०, अ० पु० खगभेदे ४३३. क्रोध: (5°४, अ० पु० क्रोधिसंवत्सरे (58
कर्दमः ४४, अ०पु० श्रीपुत्रे ऋषिविशेषे क्रोधीश: (55४, अ०पु० ककारे 5.
శ్రీపుత్రుఁడు, ఒక ఋషి.
, अत्रि० समर्थे .
(4) ख
35
खट्टु ( डु) का 30 (0) ड, आ० सी० खडौं
''
खरू (खुर)लिका
खलूरिकायाम्
- (405) 0ड, आ०सी०
१०
काण्डरोप्यः , अ० पु० गोमयेन खान्तः , अ०० गकारे .