This page has not been fully proofread.

बाराह: २०००√08
 
वाराहः
चालु (लि) का २० (D) 9, 2.
 
शार्वरिक:
 
सप्तावस्था: 8
४९, अ० त्रि० रात्रिभवे
A. [७√√().
 
चालुकागड: wX, अ०पु० मत्स्यभेदे शासु , धा० (आशास्ते ) अनुशिष्टौ
ఒక చేప
[७०. शिरः ३००, अ०पु० स्वाहाकारे ,
, अ०० लकारे ०.
विघातक: २४४, अ० त्रि० विघातिनि शीलिकः ३०४, अ०पु०पाषण्डे २०.
 
विकाल: २७°०३, अ० पु० दिनान्ते ३००० शिवः
 
" ॥
 
विजयाभिनन्दनः २०
कलियुगीयशककर्तृभेदे 5
 
, अ०पु० हकारे
 
11
 
शुकम् 55, अव्य. अतिशये ७३९९...
शुक्तिमती, ई०सी० नदीभेदे ३३०.
शैली 35, ई० सी० रीतौ 88,
 
కారకుఁడు.
 
[@g 4, 5 २२.
 
शोभनकृत्
 
, त्० पु० शोभने वर्षे
विन्ध्यवासी २, न्० पु० व्याडिमुनौ ৯ ৯०२४). [0, 20.
विरोधी २०५६, न्०पु० )संवत्सरभेदे शोषणम् , शुष्कीभावे २०६(७७)
विरोधकृत् २०४७, त्० ) २४६ २०२ शौण्डीय (र)म् ड√ (8)5, 2,
విరోధకృత్,
ङ(४), 2.
.
श्या (स्या) मलः १ (x) √s, 2.
श्वाविधः
 
२० अ० पु० श्वाविधि ९
 
२६' ॐ॥
 
अ० पु०
 
विश्वसारकम् २४९२०४४, अ० न०स्नुहीभेदे
+; विदरे 53.
 
शतरुष: ४४०३, अ०पु०कुष्ठभेदे
श(स) र्वरी ४(३)0g8, 2.
शाखाशिखा
 
, आ० सी०
 
शान्तिः २९, इ०सी० ईकारे .
शाङ्ग , नू०पु० गकारे ४.
6
गकारे
 
1
 
विष्णुपादत्रयम् २००(४०, अ० न० श्वेतेश: ० अ० पु० षकारे ३.
भ्रमध्ये (
 
विष्वद्रीचः २२९, अ० त्रि० सर्वत्र
गामिनि Śg Rew c….
वीरपतिः २४०, इ० सी० वीरपत्न्याम्
२०२०४९. - वती- 58, ई०सी० चर्म-
कषायाम् २००+.
 
आ०सी० पाठायाम्
 
ष थे
 
ष (श)ण्ड: ३ (४), 2.
400
 

 
+
 
संवरणम् (लनम्) २०२४(1), 2.
सकुः ० उ०पु० गन्धमृगे 8350.
-,
सत्यः ३४९8, दकारे .
सद्यः gs, ओंकारे
सद्यौः २०
 
. [rec.
ओ० पु० स्वर्गिणि २९०२०
 
बुह्ना ,
 
२२,
वेतः - ताः ३४६ - 2.
వేతః -उ०४,
वोहित्यम्
 
-४, अ०न० यानपात्रे .
 
च्युत्थितिः २०७३, इ०सी० व्युत्थाने २९
৯().
 
की
 
[చూ॥
 
[5]
 
सन्धिः (सन्ध्या) २२० (२२), 2.
():संपति: २२७, इ०सी० सपत्न्याम् ३३३२
जिन सप्तभूमिकाः २ आ० सी० ब०
भूमिका पश्य
 

 
(wv).
[३७. सप्तावस्थाः , आ० सी० ब० अज्ञा-
अवरोहे नावरणविक्षेपपरोक्षज्ञानापरोक्षज्ञानशोकना
शातिहर्षाख्यासु जीवगतासु ७००२२ ७२
రణము విక్షేపము పరోక్షజ్ఞానము అపరోక్ష
 
LTH