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अशुद्धिः
तृतीया विभक्त्ति •
 
चयकप्रकरणे
 
आत्मवम्
 
वातककार
 
अवान्तरकरणं
 
दृष्टयत्वा
 
आपकार
 
तदुपत्तौ
 
मर्थन्तक्षणा
 
यदाहुः
कर्षत्
 
शुद्धिपत्रम्
 
शुद्धिः
 
तृतीयाविभक्ति •
 
चयनप्रकरणे
 
आत्मानं
 
वार्तिककारैः
 
अवान्तरप्रकरणम्
 
दृष्टार्थत्वा
 
आरादुपकारक.
 
तदुत्पत्तौ
 
मत्वर्थलक्षणा
 
तदाहुः
 
कर्षेत्
 
By
 
पृ०
 
१६
 
३०
 
४८
 
७३
 
29
 
८४
 
८८
 
}9
 
१२५
 
१५१
 
१६३
 
प्राप्तिस्थानम्-
जयकृष्णदास-हरिदास गुप्तः-
NSTITUTE
POONA
 
चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस,
विद्याविलास प्रेस, बनारस ।
 
FOUNDED
1917
 
नस्थ नावधीतमस्तु ॥
 
Bhandarkar Oriental
Research Institute
 
पं०
 
३६
 
२६
 
३१
 
२४
 
२५
 

 

 
२३
 
२६
 
१९
 
२०
 
कालिक