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वॅम वा एत-
वसन्ते ब्राह्मणः
वसन्ते वैश्वदेवेन
 
वाच्यवाचक-
वाजपेयेन
 
विकृतिष्वपि
 
विधाये करसं
 
विधिनिमन्त्रणाम-
विधिरिष्टफल-
विधिहि समान-
विधिश्चाधि
विप्रतिपत्तौ विकल्प:
 
विभक्तयो हि
 
विरोधिनोः
 
विशिष्टविधि-
विषयस्येष्ट-
विष्णवे शिपि-
वेदो वा प्रायद-
वेदं कृत्वा वेदिं
वैडूर्यभूमेः
वैश्वदेवीं कृत्वा
 
वैश्वदेवी सांग्र-
वैश्वदेवेन यजेत
 
वैश्वदेव्यामिक्षा
 
वोदूश्वादिगणां
व्यापारग्राहिणा
व्रतानीमानि
 
व्रात्यात्तु
 
श्रीहिभिर्यजेत
 
व्रीहीनवहन्ति
 
शक्यते त्वत्र
 
शरदि वैश्यः
शरमयं बर्हिः
 
शुभाशुभफलै-
शुन्धध्वं दैन्याय
 
शेषान्तरपरि-
शौनश्शेप-
श्यामलाम्ला च
 
श्रुत्यथयोर्विरो-
12 सक्तन्जुहोति
 
9399
 
142
 
( १५ )
 
तै. सं. २. ६. १५.
of तै. ब्रा. १. १. २.६.
आप. श्रौ. ८. ४. १३.
 
तं. वा./३. ४. ४. ९२२ पृ.
 
cf आप. श्रौ. १८. १.१.
न्यायरत्न अङ्गनिर्णये (चौ. १३७ )
 
पा. सू, ३. ४. १६१.
 
जै. सू. ९. ३. ५.
 
तं. वा. ३. ५.४.
 
तं. वा. ३. ३. ७. ८३४ पृ.
 
शास्त्रदी. १. ४. २.५८ पृ.
 
जै. सू. ३. ३.१.
 
fis.PP.10
कुमा. १. २४.
 
ef. मनु. १०.२३.
श्राप. श्रौ. ६. ३१. १३.
 
तै. सं. २. ३.९.२
 
तै. ब्रा. १. ४. १०. मै. १.
 
of. तै. सं. १.८.२. ७३. १२८.१४७
 
cf. १. १९. ११.
 
तं. वा. २. २. ११. ५४९ पृ.
 
तै. ब्रा. १.१.२.७.
 
तै. सं. २. १. ७. ७.
 
भ.गी.
 
आप. श्री. १. ११.१०.
28.2 विधिरव्या. २१.
 
तै. ब्रा. १. ७. १०. ६.
 
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१३. १९१.
 
६५.
 
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FOUNDED
1917
 
॥जस्विनाथ तमस्तु ॥
 
Bhandarkar Oriental
 
Research Institute
 
२१.
 
१४७
 
१२५.
 
१०१
 
६५
 
१५०. १५२
 
१४९. १५२. १५३
 
१८८.
 
५२
 
१६३
 
४२
 
१०४. १२८. १५६
 
९१
 
५७
 
१०४
 
५९.
 
१९१.
 
६१. ७९.
 
११२.
 
६९
 
१२५.
 
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१६०.
 
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१२२.
 
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१०.
 
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२६