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यदा च प्रतिषेध-
यदाज्यभागौ
यदा दर्शपूर्ण-
यदाहवनीये जुहो-
यदाहवनीये जुह्व-
यदुपभृति
यद्यनिराकांक्ष-
यद्यपि क्रियां
 
यद्यपि पशुकाम-
यन्नवनीतेन
यवागूं पचति
 
यवैर्यजेत
 
यश्चोभयोः
 
यस्य पर्णमयी
 
यस्य वैकङ्कती
 
यस्य हि प्रधान-
याज्याया अधि
याते अग्ने
यावज्जीवं दर्श-
यावज्जीवमग्नि-
यावति विन्द-
यावत्या वाचा
 
युवमेतानि
 
युवा सुवासा
 
यूपे पशुं
 
ये त्रयाणा -
 
येननाव्यव-
योऽदाभ्यम्
 
योग्योपकार-
यो दीक्षितो
 
यो नामक्रतु-
रक्षेत्कन्यां
 
राजन्यं जिनाति
 
राजा राजसूयेन
 
रेवतीनः
 
रोहिण्यै स्वाहा
 
रौद्रं वास्तु
 
रौद्रौं रोहिणीं
 
लः कमणि
लक्षणहेत्वोः
 
( १४ )
 
तै. सं. २. ६. २. १.
 
त. वा. ३. ४. ४. ९१२
 
तै. ब्रा. १. १. १०५.
 
तै. ब्रा. ३. ३.५.५.
 
तं. वा ३. ३. ७. ८५५. पृ.
शास्त्रदी. २.२.५. १३५पृ.
 
तै. सं. ६. १. १. ५.
 
तै. सं३. ५. ७.२.
 
तै. सं. ३. ५. ७. ३.
 
भाट्टदी. ३. ३. ७. १४६ (कलिं. सं.)
 
तै. सं. १. २. ११.
 
ef. आप. श्री. ३. १४.११
 
पा. सू. ३. ४.३०.
 
of, आप. श्रौ. १०. ४. १०
 
तै. ब्रा. ३. ५. ७. २.
 
तै. ब्रा. ३.६. १. ३.
 
आप. श्रौ. ५. ३. १९.
 
तं. वा. ३. ३. ७. ८५५. पृ.
तै. सं. ६. ३. ११.
 
तं. वा. ३. ४. ४.९१२ पृ.
याज्ञ. १. ८५.
 
तै. ब्रा. १. ७. ९३.
 
आप. श्रौ. १८.८.१.४,
 
साम सं. उत्त. ४.१.१४.
 
तै. व्रा. ३. १. ४. २.
व. मै. सं. २. २. ४.
 
तै. २. १. ७. ७.
 
पा. सू. ३. ४.६९.
 
पा. सू. ३. २. १२६.
 

 
THE FOURT
 

 
१७७
 
१३१. १६९
 

 
€ 1600
 
९२
 
१२९. १५६
 
२६
 
६०. १५४
 
५०
 
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१७६
 
५०
 
जशी
 
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७३
 
१७
 
१२३
 
FOUNDED
1917
 
धीनमस्तु ॥
 
Bhandarkar Oriental
Research Institute
 
९०
 
३३
 
१०९
 
१०९
 
१०९
 
६१
 
९२
 
८१
 
७७
 
१३२
 
७३
 
३१. ७५. १३२
 
१७७.
 
१०६
 
१०४
 
९७
 
६९.
 
६८. ६९. ७१. १२६
 
POON.
 
१५
 
६३
 
१०७
 
३३.३६.
१४५.