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यजतिषु येयजामहं
यजेत स्वर्गकामः
यस्करोषि
 
यसूर्याय च
यथा वे श्येनः
 
यदनये च प्रजा-
यदाग्नेयोऽटा-
यदाके चक्षुरेव
 
यदाहवनीये
 
यद्विश्वेदेवाः
 
यस्य पर्णमयी
 
यस्याहिताग्नेः
 
यागानुमन्त्र-
यो वे प्रयाजानां
 
राजसूयाय होना
 
राजा राजसूयेन
 
लः कर्तरि
लोहितोष्णीषा
 
वर्मं वा एतत्
 
वर्षांस रथकारः
 
वसन्ते ब्राह्मणः
 
वषट्कर्तुः
वाक्यार्थविधिः
 
वाजपेयेनेष्ट्वा
 
पायव्यं श्वेतं
 
वायुव पिष्ठा.
 
विधाने वानु.
 
विधित्सित-
विधिरत्यन्त-
विश्वजिता यजेत
 
विष्णुरुपांशु
वैदस्याध्ययनं
वेदोवाप्रायदर्श.
 
वेदं कृत्वा वेदि
 
वैश्वदेवीं कृत्वा.
वैश्वदेवेन
 
वैश्वदेव्याभिचा
 
वैश्वानरं द्वादश.
 
ब्रीहिमिर्चबेट
 
( ४ )
 
भग.गी. ९. २७.
मै. सं. १-८. ७.
 
षडवि. ब्रा. ३.८.
 
मै. सं. १-८. ७.
ते. सं. २-६.३.३.
से. सं. ६. १.१.५.१०
तै. बा. १.१.१२.
 
ते. ब्रा. १.४.१०. ५.
 
तै. सं. ३. ५. ७.२.
 
तै. सं. २.२.२.५.
 
२६९, १७०, १७१, १७२
 
२, १३.५०, ५१. १०२,१०५. ११२
 
तं. वा. ३. २. १. पृ. ७६८.
तै. सं. २. ६. १.४.
ते. ब्रा. १. ७. ६.४.
आप. श्री. १८८१-४.
 
cf. पा. सू. ३. ४. ६९.
 
of. षड्वि. ब्रा. ३. ८.
तै. सं. २. ६.१.५.
of. आप. ओ. ५. ३.१२.
 
तै. ब्रा. १. १. २. ६.
of. आप. प्रौ. १२. २४.६.
 
of. भाप. ओ. १८. ७.१७.
 
तै. सं. २. १. १.
 
तै. सं. २.१.१.
 
तं. वा. १-४-२. पृ. २८४,
तं. वा. १.४.४. पृ. २९६.
तं. वा. १. २.४.पू. ६१.
 
तै. सं. २.६. ६.
 
श्लो. वा. १. १. ६.१.
नै. सू. ३. ३.२.
 
मै. सं. १.१०.१.
 
मै. सं. २. १. २.
आप.. ६. ३१. १३
 
१९१
 
१३६
 
१३२, १३३, १३६, १४४
 
२०
 
५०
 
३१. १३१.
 
१५१, १५५
 
ही ४४,५०
 
१०२
 
***
 
७२
 
६९, ७१,१०३
 
POON
 
१२
 
२०५०
२४२, १०४
 
९०, १२९. १५४,
 
२२
 
८८
 
१७७
 
१४, १७७
 
१२
 
१००
 
तै. ब्रा. १. ४. १०. मै. सं. १-१०-८. १४३, १४७, १४८
 
१३८
 
११८, १५३, २५४, १५६
 
Bhandarkar Oriental
 
Research Institute
 
७४
 
२८