2022-08-15 03:33:25 by Aditya_Dwivedi
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धनुरनुसङ्गरण-क्षण-सङ्ग-परिस्फुरदङ्ग-नटत्कटके
कनक- पिशङ्ग - पृषत्क- निषङ्ग रसद्भट - शृङ्ग-हतावटुके ।
कृत-चतुरङ्ग-बलक्षिति-रङ्ग-घटद्-बहुरङ्ग-रटद्-बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥७॥
अयि शरणागत-वैरिवधु-वरवीरवराभय-दायिकरे
त्रिभुवन-मस्तकशूल-विरोधि-शिरोधि - कृताऽमल-शूल- करे ।
दुमिदुमितामरदुन्दुभि नाद - महो-मुखरीकृत-दिङ्निकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।८।।
सुरललना-ततथेयि- तथेयि-कृताभिनयोदर-नृत्य-रते
कृत-कुकुथःकुकुथो-गडदादिकताल-कुतूहल-गान-रते ।
धुधुकुट- धुक्कुट - धिन्धिमित - ध्वनि - धीर - मृदङ्ग - निनाद -रते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||९||
कनक- पिशङ्ग - पृषत्क- निषङ्ग रसद्भट - शृङ्ग-हतावटुके ।
कृत-चतुरङ्ग-बलक्षिति-रङ्ग-घटद्-बहुरङ्ग-रटद्-बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥७॥
अयि शरणागत-वैरिवधु-वरवीरवराभय-दायिकरे
त्रिभुवन-मस्तकशूल-विरोधि-शिरोधि - कृताऽमल-शूल- करे ।
दुमिदुमितामरदुन्दुभि नाद - महो-मुखरीकृत-दिङ्निकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।८।।
सुरललना-ततथेयि- तथेयि-कृताभिनयोदर-नृत्य-रते
कृत-कुकुथःकुकुथो-गडदादिकताल-कुतूहल-गान-रते ।
धुधुकुट- धुक्कुट - धिन्धिमित - ध्वनि - धीर - मृदङ्ग - निनाद -रते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||९||