2025-11-28 11:27:03 by sowmya.krishnapur
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धनुरनुसङ्गरण-क्षण-सङ्ग-परिस्फुरदङ्ग-नटत्कटके
कनक- पिशङ्ग - -पृषत्क- निषङ्ग -रसद्भट - -शृङ्ग-हतावटुके ।
कृत-चतुरङ्ग-बलक्षिति-रङ्ग-घटद्-बहुरङ्ग-रटद्-बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥७॥
अयि शरणागत-वैरिवधुधू-वरवीरवराभय-दायिकरे
त्रिभुवन-मस्तकशूल-विरोधि-शिरोधि - -कृताऽमल-शूल- करे ।
दुमिदुमितामरदुन्दुभि -नाद - -महो-मुखरीकृत-दिङ्निकरे
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।८।।
सुरललना-ततथेयि- तथेयि-कृताभिनयोदर-नृत्य-रते
कृत-कुकुथःकुकुथो-गडदादिकताल-कुतूहल-गान-रते ।
धुधुकुट- धुक्कुट - -धिन्धिमित - -ध्वनि - -धीर - -मृदङ्ग - -निनाद -रते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||९||
कनक-
कृत-चतुरङ्ग-बलक्षिति-रङ्ग-घटद्-बहुरङ्ग-रटद्-बटुके
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥७॥
अयि शरणागत-वैरिव
त्रिभुवन-मस्तकशूल-विरोधि-शिरोधि
दुमिदुमितामरदुन्दुभि
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।८।।
सुरललना-ततथेयि-
कृत-कुकुथःकुकुथो-गडदादिकताल-कुतूहल-गान-रते ।
धुधुकुट-
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ||९||