2022-08-10 03:24:26 by akprasad
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शोषिणि, सिन्धुसुते लक्ष्मीस्वरूपे समुद्रपुत्रि | जय जयेति । ॥२॥
जय हो महिषासुर मर्दिनी । जय हो रमणीय केशपाश से
शोभायमान शैलपुत्री ! तुम देवताओं पर वरों की वर्षा करती हो ।
प्रथम तुम ने महिषासुर के सेनानी दुर्धर को पछाडा, दुर्मुख को गिराया
। इस प्रथम विजय से ही हर्षित हो गयी । असुर संहार से त्रिभुवन
का पोषण करने के लिये संन्नद्ध हो गयी । हे माता ! तुम सदा
शंकर को प्रसन्न रखती हो, भक्तों के पापों को धो डालती हो । दानवों
का संहार दैत्यो का विनाश एवं मदान्ध दुष्टों का सफाया करती हो ।
हे जगदम्बा तुम वेदधोष में तन्मय हो जाती हो ॥२॥
Oh Goddess, who showers boons on gods,
molests demon Durdhara, destroys demon
Durmukha, is gladdened by the joy (of herself
and others), nourishes the three worlds,
satisfies Sankara, removes the guilt (of
devotees), is delighted in the war-cries,
causes harm to the Danavas, gets angry with the
sons of Diti (i.e. Demons), causes affliction
to the arrogant, Oh daughter of the ocean (as
Lakshmi) who has crushed the demon, Mahisha,
जय हो महिषासुर मर्दिनी । जय हो रमणीय केशपाश से
शोभायमान शैलपुत्री ! तुम देवताओं पर वरों की वर्षा करती हो ।
प्रथम तुम ने महिषासुर के सेनानी दुर्धर को पछाडा, दुर्मुख को गिराया
। इस प्रथम विजय से ही हर्षित हो गयी । असुर संहार से त्रिभुवन
का पोषण करने के लिये संन्नद्ध हो गयी । हे माता ! तुम सदा
शंकर को प्रसन्न रखती हो, भक्तों के पापों को धो डालती हो । दानवों
का संहार दैत्यो का विनाश एवं मदान्ध दुष्टों का सफाया करती हो ।
हे जगदम्बा तुम वेदधोष में तन्मय हो जाती हो ॥२॥
Oh Goddess, who showers boons on gods,
molests demon Durdhara, destroys demon
Durmukha, is gladdened by the joy (of herself
and others), nourishes the three worlds,
satisfies Sankara, removes the guilt (of
devotees), is delighted in the war-cries,
causes harm to the Danavas, gets angry with the
sons of Diti (i.e. Demons), causes affliction
to the arrogant, Oh daughter of the ocean (as
Lakshmi) who has crushed the demon, Mahisha,