2022-08-15 03:44:05 by Aditya_Dwivedi
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अविरल-गण्डगलन् -मद-मेदुर-मत्त-मतङ्गजराज-पते
त्रिभुवन-भूषणभूत-कलानिधिरूप-पयोनिधिराजसुते ।
अयि सुदतीजन-लालस-मानस- मोहन मन्मथराज - सुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१३ ।।
कमलदलामल-कोमल- कान्ति-कलाकलिताऽमल-भालतले
सकल-विलासकला-निलय-क्रम- केलि - चलत् - कलहंसकुले ।
अलिकुल-सङ्कुल-कुवलयमण्डल-मौलिमिलद्बकुलाऽऽलिकुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१४ ।।
कर-मुरली-रव-वीजित- कूजित - लज्जित कोकिल-मञ्जुरुते
मिलित- मिलिन्द - मनोहर-गुञ्जित-रञ्जित-शैलनिकुञ्ज-गते ।
निजगुणभूत महाशबरीगण- सद्गुण-सम्भृत- केलितते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।। १५ ।।
त्रिभुवन-भूषणभूत-कलानिधिरूप-पयोनिधिराजसुते ।
अयि सुदतीजन-लालस-मानस- मोहन मन्मथराज - सुते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१३ ।।
कमलदलामल-कोमल- कान्ति-कलाकलिताऽमल-भालतले
सकल-विलासकला-निलय-क्रम- केलि - चलत् - कलहंसकुले ।
अलिकुल-सङ्कुल-कुवलयमण्डल-मौलिमिलद्बकुलाऽऽलिकुले
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।।१४ ।।
कर-मुरली-रव-वीजित- कूजित - लज्जित कोकिल-मञ्जुरुते
मिलित- मिलिन्द - मनोहर-गुञ्जित-रञ्जित-शैलनिकुञ्ज-गते ।
निजगुणभूत महाशबरीगण- सद्गुण-सम्भृत- केलितते
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ।। १५ ।।