मधुराविजयम् /712
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विशङ्कट कटाघाट
विशदनखपदं
विशदमधर
विशदशारदनीरद
विशृङ्खलास्तस्य
विषच्छटाधूम्र
विहाय निद्रां
विहाय मध्यं यदि
विहाय शार्ङ्ग
विहृतिरयपरिच्युतान्
वीराः कुञ्जरकुम्भेषु
वेदण्डशुण्डाहर्म्याग्र
वैयासके गिरां
व्यराजतोरः स्थलमस्य
शचीत्र शऋस्य रमेव
शबलितान्यलिकागरु
शशिमण्डलशङ्ख
शशिमुखि शशिकान्त
शुभाकृतेस्तस्य
शूरस्तथा प्राहृत
श्यामायमानच्छविना
श्रुतिरस्तमिता नयः
श्वसितानिलशोषिता
स केरलप्राण
17
श )
स )
4
6
6
5
2
9
4
3
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८८
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विशदमधर
विशदशारदनीरद
विशृङ्खलास्तस्य
विषच्छटाधूम्र
विहाय निद्रां
विहाय मध्यं यदि
विहाय शार्ङ्ग
विहृतिरयपरिच्युतान्
वीराः कुञ्जरकुम्भेषु
वेदण्डशुण्डाहर्म्याग्र
वैयासके गिरां
व्यराजतोरः स्थलमस्य
शचीत्र शऋस्य रमेव
शबलितान्यलिकागरु
शशिमण्डलशङ्ख
शशिमुखि शशिकान्त
शुभाकृतेस्तस्य
शूरस्तथा प्राहृत
श्यामायमानच्छविना
श्रुतिरस्तमिता नयः
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