मधुराविजयम् /711
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लोलवालाग्रलग्नेन
वनभुवः परितः
वरतनु परतः
वरवधूपरिरम्भ
वल्गन् रयेणावनि
वह्निज्वालसमालीढ
वाणीपाणिपरामृष्ट
विकचकुन्दकलाप
विकचपद्मविलोचन
विकचपाटलगन्धि
विकलकञ्चुकलक्ष्य
विकसद्वनितावल्ली
विक्षेप्तुं विस्मृतैः
विजृम्भमाणे प्रस्थान
वितेनिरे करेणूनां
विधुतकाशसटा
विना फलं जीवित
विनिद्रपङ्केरुह
विन्यस्तकुन्त
विमर्दव्यक्त
वियति व्यरुचन्
विरोधिवाहिनीनाथ
विलसदुत्पललोचन
विविधविलसितैः
विवेकमेव सचिव
16
व )
6
5
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4
i
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9
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वरतनु परतः
वरवधूपरिरम्भ
वल्गन् रयेणावनि
वह्निज्वालसमालीढ
वाणीपाणिपरामृष्ट
विकचकुन्दकलाप
विकचपद्मविलोचन
विकचपाटलगन्धि
विकलकञ्चुकलक्ष्य
विकसद्वनितावल्ली
विक्षेप्तुं विस्मृतैः
विजृम्भमाणे प्रस्थान
वितेनिरे करेणूनां
विधुतकाशसटा
विना फलं जीवित
विनिद्रपङ्केरुह
विन्यस्तकुन्त
विमर्दव्यक्त
वियति व्यरुचन्
विरोधिवाहिनीनाथ
विलसदुत्पललोचन
विविधविलसितैः
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