मधुराविजयम् /708
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प्रबन्धमीषन्मात्रोऽपि
प्रवसन् दिवसात्यये
प्रवाताभिमुखा
प्रशान्तदावेव वनान्त
प्रसृतैस्तच्चमू
प्रस्तावितो मङ्गल
प्रस्थानोचित
प्रायस्स्वनाश
प्रायो भयद्रुता
फलोत्तरा भूमि
बद्धास्सभाङ्गणे
बहुलकुङ्कुम
बाणा निरस्ता यवनेन
भवत्यहङ्कार
भवादृशास्तु स्वत एव
भुजङ्गसंघसंवास
भ्रश्यत्तालफलाकारैः
मगधमालव
मघवन्मणिभङ्गमेचक
मणिमयानि गृहाणि
मदनबेरनिभं
मदादपात्रेषु
13
( फ )
( ब
( भ )
( म )
1
7
4
9
4
2
4
3
1
5
9
3
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69
41
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21
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28
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55
29
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36
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71
9
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72
33
23
420
262
550
246
110
213
238
207
171
345
537
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185
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264
289
461
323
364
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प्रवसन् दिवसात्यये
प्रवाताभिमुखा
प्रशान्तदावेव वनान्त
प्रसृतैस्तच्चमू
प्रस्तावितो मङ्गल
प्रस्थानोचित
प्रायस्स्वनाश
प्रायो भयद्रुता
फलोत्तरा भूमि
बद्धास्सभाङ्गणे
बहुलकुङ्कुम
बाणा निरस्ता यवनेन
भवत्यहङ्कार
भवादृशास्तु स्वत एव
भुजङ्गसंघसंवास
भ्रश्यत्तालफलाकारैः
मगधमालव
मघवन्मणिभङ्गमेचक
मणिमयानि गृहाणि
मदनबेरनिभं
मदादपात्रेषु
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( भ )
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